Rajasthan Congress Row: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा (Sukhjinder Singh Randhawa) ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) के उस दबाव को शनिवार को एक तरह से दरकिनार कर दिया कि सितंबर में गहलोत खेमे के विधायकों की समानांतर बैठक पार्टी आलाकमान के खिलाफ बगावत थी और उसमें कार्रवाई होनी चाहिए. राजस्‍थान कांग्रेस में जारी 'रस्साकसी' के बीच पायलट ने कांग्रेस कमेटी (AICC) के प्रतिनिधियों और सभी नेताओं से अपील की है कि 'वो धरातल पर जाएं, लोगों से सीधे बात करें, कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझें.'


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कांग्रेस की कलह और 25 सितंबर 2022 का वो दिन


गौरतलब है कि पायलट ने पिछले साल 25 सितंबर को पार्टी विधायक दल की बैठक में न आकर मंत्री शांति धारीवाल के घर समानांतर बैठक करके पार्टी आलाकमान के निर्देशों की कथित अवहेलना करने वाले विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने पर हाल ही में सवाल उठाया था. 


गहलोत समर्थक इन विधायकों ने इस बैठक के बाद पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत सरकार का समर्थन किया था, तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी.


पार्टी प्रभारी रंधावा ने बताई भविष्य की बात


पायलट के आरोप के बारे में पूछे जाने पर पार्टी के राजस्थान प्रभारी रंधावा ने जुलाई 2020 में पायलट खेमे द्वारा बगावत का उल्लेख किया. कांग्रेस महासचिव ने यहां संवाददाताओं से कहा, 'कुछ लोग कहते हैं क‍ि कोरोना से पहले बगावत हुई थी. मैं इन बातों को या अतीत को ज्यादा लेकर नहीं चलना चाहता. मैं भविष्‍य की बात कर रहा हूं. हम नेताओं को भविष्‍य के बारे में सोचना चाहिए और साथ ही साथ अतीत से सबक भी लेना चाहिए ताकि दोबारा ऐसी गलती न हो.'


तीन साल से बदले बदले नजर आ रहे पायलट


जुलाई 2020 में, पायलट और कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था, जिसके कारण राज्य में एक महीने तक राजनीतिक संकट बना रहा. यह संकट पार्टी आलाकमान द्वारा हस्तक्षेप के बाद समाप्त हुआ और पायलट को आश्वासन दिया कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर किया जाएगा.


राज्‍य में दिसंबर 2018 में राजस्थान कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर गहलोत और पायलट के बीच अनबन चल रही है. राजस्थान कांग्रेस के नेताओं में अनेक बैठकों के बीच यह अटकलें लग रही थीं कि पार्टी इकाई में गुटबाजी को खत्म करने के लिए राज्य में मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जा सकता है.


हवा में तीर मार रही कांग्रेस?


कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी ने शनिवार को यहां मंत्रियों के साथ अलग-अलग बैठक कीं और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी से भी मुलाकात की. वहीं सचिन पायलट ने भी शनिवार को जोशी के साथ एक बैठक की थी. ऐसी कई बैठकें लगातार चल रही हैं.


मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना नहीं: प्रभारी


विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात के बाद रंधावा से साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में मंत्रिमंडल में फेरबदल की संभावना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, अगर सभी कहेंगे तो (मंत्रिमंडल में फेरबदल) करेंगे, लेकिन मेरे ख्याल में अभी हमारा ऐसा कोई विचार नहीं है.


मंत्रियों से लिया फीडबैक


इससे पहले रंधावा ने यहां मंत्रियों के साथ अलग-अलग बैठक की. उन्होंने कहा कि वह मंत्रियों से फीडबैक ले रहे हैं और उनसे पार्टी संगठन को मजबूत करने को कह रहे हैं. रंधावा ने कहा, ‘मैंने मंत्रियों से कहा है कि केवल ऐसा ही नहीं होना चाहिए कि आप सरकार के लिए काम कर रहे हो. आपको साथ-साथ संगठन के लिए भी काम करना चाह‍िए.’


पार्टी सूत्रों ने यह भी कहा कि आलाकमान फिलहाल कर्नाटक चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. रंधावा से पहले पायलट ने जोशी से भी मुलाकात की थी और इसे अनौपचारिक मुलाकात बताया था.


उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस ने हाल ही में तीन सचिवों अमृता धवन, वीरेंद्र सिंह राठौड़ व काजी मुहम्मद निजामुद्दीन को राजस्‍थान में पार्टी प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ बतौर सह प्रभारी संबद्ध किया है.


पायलट ने इस बारे में कहा, ‘समय-समय पर संगठन में बदलाव होते रहते हैं. (विधानसभा) चुनाव सर पर हैं, छह महीने दूर हैं इसलिए लोगों को जिम्‍मेदारियां दी गई हैं. मुझे लगता है कि इसका अच्‍छा संकेत जाएगा. लेकिन मैं चाहता हूं कि सब लोग जो एआईसीसी के प्रतिन‍िध‍ि हैं और जो संगठन का काम संभाल रहे हैं वे धरातल पर जाएं, लोगों से बात करें, कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझें.’


एक दिन के अनशन से गर्माया मामला


पायलट ने पिछले हफ्ते नाराजगी जताते हुए कहा था कि 25 सितंबर को हुई घटना तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आदेशों का खुला उल्लंघन थी. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन का खुलेआम अपमान किया गया था. उन (विधायकों) के खिलाफ अभी तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई. इन यक्ष प्रश्नों का जवाब पार्टी के बड़े नेता ही दे सकते हैं.'


पायलट, पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार के मामलों में मौजूदा गहलोत सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं क‍िए जाने को लेकर 11 अप्रैल को जयपुर में एक दिन के अनशन पर बैठे और अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ फिर से मोर्चा खोल दिया था. तभी से एक बार फिर राजस्थान कांग्रेस के नेताओं की आपसी सिरफुटव्वल तेज हो गई है.


(इनपुट: भाषा)