Rajasthan Vidhansabha: राजस्थान विधानसभा में विधायकों का संख्याबल 200 है लेकिन विधानसभा में कई सालों से नंबर 199 विधायकों पर ही सिमटा हुआ है. जब विधायकों का आंकड़ा 200 हो भी जाता है तो किसी विधायक की असमय मौत हो जाती है. एक बार फिर राजस्थान विधानसभा 199 के फेर में फंसी है. भूत प्रेत से लेकर रहस्यमयी चर्चाएं गर्म है.


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क्या राजस्थान विधानसभा में भूत-प्रेत का साया है?  राजस्थान में 200 विधायकों की राह का रोड़ा कौन बन रहा है?


200 तक नहीं पहुंच पाती संख्या


राजस्थान विधानसभा की विधायकों की संख्या एक बार फिर अबूझ पहेली बन गई है. 200 विधानसभा सदस्यों वाले सदन में विधायकों की संख्या एक बार फिर 199 हो गई है. दो दिन पहले ही सलूम्बर से बीजेपी विधायक अमृत लाल मीणा की हार्ट अटैक से मौत हो गई जिससे 200 विधायकों वाली विधानसभा 199 विधायकों के फेर में फंस गई. पहली नज़र में ये किसी के लिए सामान्य बात हो सकती है लेकिन बीते 23 सालों से रहस्यमयी संयोग राजस्थान में लगातार बरकरार है.


पिछले साल जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए तो 199 सीटों पर ही मतदान हुआ. करणपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार की मौत हो गई थी और आखिरी मौके पर करणपुर में चुनाव स्थगित करना पड़ा था.


साल 2001 में राजस्थान का ये विधानभवन बनकर तैयार हुआ. माना जाता है कि तब से ही विधानसभा में विधायकों का आंकड़ा 200 की बजाय 199 पर अटका है. जब भी 200 विधायक पूरे होते हैं तो किसी विधायक की असमय मौत हो जाती है. कांग्रेस के पूर्व विधायक ने इसके तार भूत प्रेत से जोड़े हैं.


विधानसभा से पहले जमीन पर था श्मशान


नागौर से पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान अशरफी ने कहा, 'विधानसभा बनने से पहले यहां कई मजारें व श्मशान थे और कई किसानों की जमीन भी थी जहां किसान अपनी खेती करते थे. लेकिन उनको वहां से हटाकर वहां पर विधानसभा का भवन निर्माण करवाया. जब विधानसभा का भवन निर्माण कार्य चल रहा था, इसी दौरान लिफ्ट में तीन चार मजदूरों की मौत हो गई थी. इसके बाद कई बार ऐसे विधानसभा में हादसे हुए हैं. वहीं विधानसभा बनने के बाद कभी भी एक साथ पूरे दो सौ विधायक उपस्थित नहीं रहे.


नई विधानसभा बनने के बाद से 17 विधायकों की मौत हो चुकी है. हालांकि 2008 से 2013 का ऐसा दौर भी रहा जब सदन में सभी 200 विधायक मौजूद रहे लेकिन 2013 के बाद फिर 199 की पहेली में उलझ गई. इन रहस्यमयी दावों की पड़ताल करने ज़ी न्यूज संवाददाता विधानसभा परिसर के बाहर गए जहां श्मशान और उसके बगल में मंदिर मौजूद हैं. 


ऐसा नहीं है कि इस रहस्यमयी घटनाओं की खबर सरकार को नहीं है. सत्ता और विपक्ष की तरफ से वास्तुदोष के उपाय भी किए गए लेकिन विधायकों की मौत का सिलसिला नहीं थमा. पहले वसुंधरा राजे की सरकार में 4 विधायकों की मौत हुई थी और फिर  पिछली गहलोत सरकार में सात विधायकों की मौत हुई, सिलसिला भजनलाल सरकार तक जारी है.