vijaynagar news : दशमी तिथि के दिन अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र विष्णु के अवतार श्री राम ने रावण का वध किया था. असत्य पर सत्य की इस विजय को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है . इसी परंपरा को निभाते हुए, भारत के कई हिस्सों में हर साल  रावण  का दहन  किया जाता है. लेकिन राजस्थान के  बिजयनगर स्थित बाड़ी माता मंदिर में नवरात्रि में महिषासुर का दहन किया जाता है. यह प्रदेश में एक मात्र स्थान है जहां दशहरे पर रावण के स्थान पर  महिषासुर का पुतला जलाया जाता है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

22 वर्षों से किया जाता है दहन 


बाड़ी माता मंदिर में पिछले 21 वर्षों से महिषासुर के पुतले का दहन होता है. मंदिर ट्रस्ट का कहना है की दशहरे पर  देश के कई हिस्सों में रावण दहन होता  है, लेकिन यहां पर बुराई के प्रतीक के रुप में महिषासुर के पुतले का दहन किया जाता है. साथ ही बिजयनगर एक मात्र स्थान है जहां दशहरे पर महिषासुर के पुतले का दहन होता है. 


यह भी पढ़े : फतेहपुर में गरजे ओवैसी, कहा- कांग्रेस-बीजेपी एक ही सिक्के के दो पहलू


हालांकि. यहां पर महिषासुर के  दहन का कोई विशेष कारण नहीं है. बल्कि वर्षों पहले मां के एक परम भक्त स्मृतिशेष चुन्नीलाल टांक ने  इस परंपरा की शुरुआत की थी, जो आज तक निभाया जा रहा है. ट्रस्ट का कहना है की इस दौरान मंदिर के पास मेला लगता है. साथ-साथ भव्य झांकियां भी सजती है.


महिषासुर  पुतले दहन का कारण
मंदिर ट्रस्ट प्रमुख कृष्णा टांक ने बताया महिषासुर राक्षस रुप का अत्याचारी शासक था.महिषासुर सृष्टिकर्ता ब्रम्हा का महान भक्त था और ब्रम्हा जी ने उन्हें वरदान दिया था कि कोई भी देवता या दानव उसपर विजय प्राप्त नहीं कर सकता. जिसके अत्याचार से तंग आकर ब्रह्मा,विष्णु और महेश ने एक महान तेज प्रकट किया भगवती के रूप में, और सभी देवताओं ने अपने अस्र-शस्त्र भेंट किया. मॉ दुर्गा ने नौ दिन महिषा सुर से युद्ध किया .और दसवे दिन महिषा सुर का वध किया.यही वजह है की वजह है की यहां पर महिषासुर के  दहन किया जाता है.