Ajmer: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को यूं तो तीर्थ नगरी पुष्कर (Pushkar News) आए 20 साल बीत गए है. 20 साल बाद यह पहला मौका होगा जब प्रधानमंत्री मोदी पुष्कर की जनता से सीधे रूबरू होंगे. आगामी 5 नवंबर को केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की समाधि स्थल पर मूर्ति अनावरण के दौरान प्रधानमंत्री मोदी पुष्कर के साधु संत, तीर्थ पुरोहित और आमजन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करेंगे.


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पुष्कर विधायक सुरेश रावत (Suresh Rawat) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित कार्यक्रम के पश्चात प्रात: 9 बजे जगतपिता ब्रह्मा की पावन नगरी पुष्कर के साधु-संतों, पुरोहितों एवं पुष्कर वासियों को ब्रह्मा मंदिर चौक में वर्चुअल माध्यम से सीधा संबोधित करेंगे.


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इस वर्चुअल संबोधन में पुष्कर से विधायक सुरेश सिंह रावत (Suresh Singh Rawat) सहित भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia), प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर (chandrashekhar), अजमेर सांसद भागीरथ चौधरी, अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी, अजमेर देहात जिलाध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा, अजमेर शहर जिला अध्यक्ष प्रियशिल हाडा, पुष्कर न.पा.चेयरमैन कमल पाठक एवं पुष्कर शहर के साधु-संत, तीर्थ पुरोहित, भाजपा कार्यकर्ता व प्रबुद्ध नागरिक गण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ेंगे. 


सूचना के बाद कस्बे में प्रधानमंत्री के वर्चुअल संबोधन को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं (BJP workers) ने तैयारियां शुरू कर दी है. सियासी गलियारों में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पुष्कर के संबंध में बड़ी घोषणा करने के कयास भी लगाए जा रहे हैं. 


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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व निभा रहे थे तब दिनांक 25 नवंबर 2000 में भाजपा (BJP) के ही तीन दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में भाग लेने पुष्कर आए थे. इस दौरान पुष्कर के भाजपा कार्यकर्ताओं से उनका विशेष लगाव रहा. इतना ही नहीं होने पुष्कर सरोवर (Pushkar Sarovar) की पूजा अर्चना कर अपने पुश्तैनी तीर्थ पुरोहित हरगोपाल पाराशर बही में अपना नाम दर्ज करवाया था.


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ज्ञात रहे कि प्रधानमंत्री के आदि शंकराचार्य की समाधि स्थल पर मूर्ति अनावरण के दौरान केदारनाथ (Kedarnath) से पुष्कर वर्चुअल संबोधन को धार्मिक और ऐतिहासिक परिपेक्ष में भी देखा जा रहा है. आदि शंकराचार्य द्वारा 8वीं शताब्दी के प्रारंभ में जगतपिता ब्रह्मा मंदिर में मूर्ति की स्थापना करवाई. उसके बाद मंदिर का वर्तमान स्वरूप गोकलचंद पारेख ने 1809 ईं. में बनवाया था.
Report- Manveer Singh chundawat