Ajmer Dargah Sharif: अजमेर शरीफ दरगाह को शिव मंदिर बताने वाली याचिका को कोर्ट ने मान लिया है. इसके लिए दरगाह पक्ष को नोटिस भी दिया गया है. इस मसले में अब अगली सुनवाई 20 दिसंबर की जाएगी. नोटि‍स के बाद अजमेर दरगाह के प्रमुख और उत्तराधिकारी नसरुद्दीन चिश्ती ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यह एक न्यायायिक प्रक्रिया है, जिस पर वकीलों से बात की जा रही है. हम आगे की कानूनी प्रक्रिया अपनाएंगे. कोशिश करेंगे की इस याचिका को खारिज कराया जाए.


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मामले पर बात करते हुए अजमेर शरीफ दरगाह के प्रमुख नसरुद्दीन ने कहा कि यह एक नई परिपाटी आ गई है. हर कोई कही से भी उठकर आ जाता है और दरगाह व मस्जिद में मंदिर होने का दावा करने लगता है. यह परिपाटी समाज और देश हित के लिए सही नहीं है. आज हिंदुस्तान ग्लोबल ताकत बनने की ओर आगे बढ़ रहा है. लेकिन हम अब भी मंदिर-मस्जिद में फंसे हैं. ये सब सही नहीं है. अजमेर शरीफ की दरगाह का सवाल है तो इसका इतिहास 850 साल पुराना है.  


उन्होंने बताया कि 1195 में ख्वाजा गरीब नवाज अजमेर आए थे. उनका 1236 में इंतकाल हुआ था. तब इस दरगाह को बनाया गया था, जो आज तक कायम है. ये सिर्फ मुस्लिम नहीं बल्कि सभी धर्म का आस्था का केंद्र है. यहां 800 साल से राजा, रजवाड़े, महाराजा और ब्रिटिश के राजा हाजिरी लगाते रहे हैं.  


अजमेर शरीफ दरगाह के प्रमुख नसरुद्दीन ने यह भी बताया कि दरगाह के गुंबद शरीफ में चांदी का कटगरा जयपुर के महाराज की ओर से चढ़ाया गया था. देश के कई हिंदू राजा यहां आते थे, दरगाह में ब्रिटिश क्वीन विक्टोरिया का हॉल दरगाह के महफिल खाने के पास बना है. लोगों ने सस्ती लोकप्रियता हासिल करने यह नया तरीका अपना लिया.