Ajmer News: राजस्थान के हृदय में बसा अरावली पर्वतमालाओं की तलहटी में अजमेर शहर अपनी सांस्कृतिक धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत के लिए विश्व मानचित्र पर अलग पहचान रखता है. ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह, जगत पिता ब्रह्मा का मंदिर होने के साथी शहर के मध्य में स्थित आनासागर झील भी आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र रही है लेकिन इन दिनों यह झील अपनी बेबी जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते बदहाली के आंसू रोने पर मजबूर है.


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इस झील को इन दोनों जलकुंभी नाम के एक दानव ने अपने कब्जे में ले रखा है और इससे छुटकारा दिला पाने में फिलहाल कोई भी सफल नहीं हो रहा है. झील चारों तरफ से जलकुंभी के आगोश में है और पिछले दो महीने से नगर निगम रोजाना दर्जनों डंपरों के जरिए इस झील से जलकुंभी निकल रहा है लेकिन जितनी जलकुंभी निकल जा रही है, उसे दुगनी फैल रही है.


जलकुंभी के चलते झील एक हर मैदान में तब्दील हो गई, इससे जलीय जीवों के जीवन पर भी खतरा मंडराता जा रहा है. झीलों की खूबसूरती निहारने के लिए इसके चारों तरफ पाथवे का निर्माण किया गया, जहां शहर वासी और पर्यटक इस झील की सुंदरता को निहारत थे लेकिन आज वह इस झील की बेबी को देख अंदर ही अंदर उदास होते हैं. 



झील से जलकुंभी निकालने के लिए जिला प्रशासन और नगर निगम पिछले दो महीने से ज्यादा वक्त से लगा हुआ है. अब तक करीब 5 करोड रुपये खर्च कर दिए गए हैं. रोजाना दर्जनों दम पर जलकुंभी के निकल जा रहे हैं लेकिन फिर भी स्थाई समाधान की दिशा में सब कुछ शून्य ही साबित हो रहा है. रोजाना करीब 1 से 2 लख रुपये की लागत इस पर खर्च हो रही है लेकिन फिर भी नतीजा ढाक के तीन पात.



इतना ही नहीं झील से निकल जा रही जलकुंभी निगम प्रशासन की ओर से आबादी क्षेत्र के खाली प्लॉट पर उतारी जा रही जिससे आसपास के लोगों के जीवन पर भी खतरा मंडराता नजर आ रहा. इसको लेकर एडवोकेट योगेंद्र ओझा की ओर से स्थाई लोक अदालत में एक वार्ड दायर किया गया, जिस पर अदालत ने सख्त फैसला देते हुए निगम को खास एहतियात बरतने के आदेश दिए हैं. 



इस आनासागर झील के कई रूप अजमेर वासियों ने देखे हैं. कभी इस झील को पूरा सूखा होते हुए भी देखा है, तो कभी इस झील से पानी को ओवरफ्लो होते हुए भी देखा है लेकिन जलकुंभी की चपेट में इस कदर गिरी इस झील का यह रूप इतिहास में शायद पहली बार देखने को मिल रहा है. जलकुंभी हटाने के अब तक हुए सभी प्रयास विफल साबित हुए हैं.



ऐसे में आने वाले समय में मानसून के मध्य नजर अगर जल्द स्थाई समाधान नहीं हुआ तो इस झील के छलकने पर न सिर्फ अपनी बल्कि साथ ही साथ जलकुंभी भी दूसरे इलाकों में पहुंचेगी और वहां भी इसी तरह का खतरा फैल सकता है, जो एक बड़ी चिंता का सबब है. 


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