Nasirabad,Ajmer: नसीराबाद रेलवे स्टेशन के निकट रेलवे फाटक राहगीरों, वाहन चालकों एवं क्षेत्रवासियों के लिए कोढ़ में खाज बन चुकी है. कई दशक के प्रयास के बाद इस रेलवे फाटक से निजात दिलाने के लिए जनप्रतिनिधियों, क्षेत्रवासियों एवं नगरवासियों ने अथक प्रयास किए और इस रेलवे फाटक के स्थान पर ओवर ब्रिज एवं अंडर ब्रिज बनाने की कवायद शुरू कर दी गई. लेकिन यह कार्य कछुआ चाल से चलने के कारण परेशानियों का सबब जारी है.


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नसीराबाद रेलवे स्टेशन के निकट इस फाटक पर राहगीरों व वाहन चालकों की आवाजाही लगी रहती है. इस फाटक के एक तरफ नसीराबाद है वहीं दूसरी तरफ राजकीय महाविद्यालय, आवासन मंडल कॉलोनी सहित नांदला, बुबानिया, बाघसुरी, राजोसी, भवानीखेड़ा, राजगढ़, मांगलियावास एवं ब्यावर आदि होने के कारण यह मार्ग व्यस्त रहता है. इसी की तुलना में यात्री गाड़ियों सहित माल गाड़ियों का आवागमन भी अत्यधिक होने के कारण फाटक बंद होना आम बात बन चुकी है.


बरसात में फाटक बंद होने के कारण लोगों का बरसात में भीग जाना और चिलचिलाती धूप में फाटक खुलने के इंतजार में पसीने बहाते रहना वाहन चालकों व राहगीरों की मजबूरी बन कर रह जाता है. इतना ही नहीं बल्कि कई बार तो फाटक बंद होने पर अग्निशमन वाहन एवं रोगी वाहन अपने सायरन बजाते हुए फंसकर रह जाते हैं.


रेलवे फाटक बंद होने पर वाहन चालक एवं राहगीर तो फाटक खुलने की तैयारी में रुक जाते हैं किंतु इस फाटक पर जानवरों का आवागमन बना रहता है. ट्रेन आने के कारण फाटक बंद होने पर भी यह जानवर पटरियों पर डेरा जमाए रहते हैं. जिससे ट्रेन की दुर्घटना को नकारा नहीं जा सकता. चिलचिलाती धूप में परेशान कुछ यात्रियों ने फाटक खोलने व बंद करने वाले रेलवे कर्मचारियों को पटरी पर आवारा जानवर के स्वच्छंद विचरण एवं डेरा जमाए रहने के लिए बताया तो उसने कहा कि यह बार-बार आ जाते हैं. तेज धूप में बार बार इन्हें कैसे भगाया जाएगा. संभवतया रेल कर्मचारियों की ऐसी लापरवाही के कारण ही ट्रेन हादसों का अंदेशा बन जाता है.


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