Rajasthan News: अजमेर कांग्रेस में एक बार फिर आपसी कलह और गुटबाजी सामने आ गई है. नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष को हटाने की मांग को लेकर 18 में से 15 पार्षदों ने विश्वास प्रस्ताव लाकर आलाकमान को चेतावनी दे दी है. अगर 10 दिन के भीतर आलाकमान ने नेता प्रतिपक्ष द्रोपदी कोली (Draupadi Koli) को नहीं हटता है तो फिर पार्षद खुद अपना नेता चुनने को मजबूर होंगे.


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लगातार चल रही अजमेर कांग्रेस और नगर निगम पार्षद और नेता प्रतिपक्ष के बीच खींचतान अब अंतिम दौर में आ गई है. कांग्रेस के पार्षदों ने पटेल स्टेडियम के स्पोर्ट्स ग्राउंड हॉल में मीटिंग की और बताया कि लंबे समय से नेता प्रतिपक्ष द्रोपदी कोली पार्षद हित और अजमेर हित में काम नहीं कर रही. 



पार्षद गजेंद्र सिंह रलावता ने बताया कि अजमेर नगर निगम लगातार निजीकरण पर उतारू है और जनता के हित के लिए बनाए जाने वाली सुविधाओं को भी किराए पर दिया जा रहा है. जिसका नुकसान आम जनता को उठाना पड़ रहा है. सुभाष उद्यान के बाद पटेल स्टेडियम आजाद पार्क में भी आम जनता नहीं पहुंच सकती और वहां पहुंचने के लिए उन्हें पैसे देने होंगे. इसी प्रकार अलग-अलग स्थान पर इसी तरह की स्थिति बनी हुई है लेकिन इन सभी विषयों को लेकर नेता प्रतिपक्ष नगर निगम में किसी तरह की आवाज नहीं उठा रही. जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है और कांग्रेस को नुकसान हो रहा हैं.



पार्षद गजेंद्र सिंह रलावता ने नेता प्रतिपक्ष द्रोपदी कोली के महापौर और निगम के सत्ता पक्ष से मिली भगत के आरोप भी लगाए हैं. वहीं वरिष्ठ पार्षद नरेश सत्याना ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष को हटाने के लिए लंबे समय से वह कांग्रेस के आलाकमान को लेटर लिख रहे हैं और अपनी आप बीती भी वह बताई जा रही है. इसका कितना खामियाजा उठाना पड़ रहा है इसकी जानकारी भी दी जा रही है लेकिन इसके बावजूद भी किस तरह की कार्रवाई नहीं होने पर आज मजबूरन सभी को एकजुट होकर यह निर्णय लेना पड़ा है. आलाकमान अगर 10 दिन के भीतर नेता प्रतिपक्ष द्रोपदी कोली को नहीं हटता है तो फिर पाषर्द अपना नेता खुद चुनेंगे.



बता दें कि द्रोपदी कोली ने अजमेर विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन वह कुछ मार्जन से ही अनिता भदेल से हारी थी और इसके बाद से ही उन्होंने अपने क्षेत्र में जनप्रतिनिधियों और संगठन को जिम्मेदार ठहराया और खींचतान लगातार बढ़ती गई. अब पार्षदों और नेता प्रतिपक्ष द्रोपदी कोली के बीच खींचतान इतनी बढ़ गई कि दोनों आर पार की लड़ाई करने को आतुर खड़े हैं. ऐसे में अब अजमेर शहर में एक बार फिर कांग्रेस की स्थिति खराब होती नजर आ रही है लेकिन इस संबंध में कांग्रेस वाला कमान कोई ठोस निर्णय करता नजर नहीं आ रहा.