Ajmer News: ब्यावर में माली समाज ने मनाई ज्योतिबा फुले की 133वीं पुण्यतिथि, प्रतिमा पर किया माल्यार्पण
Beawar, Ajmer News: ब्यावर में माली समाज की ओर से महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की 133वीं पुण्यतिथि मनाई गई. साथ ही ज्योतिबा फूले की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया.
Beawar, Ajmer News: माली समाज ब्यावर तथा सर्व समाज की ओर से मंगलवार को महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले की 133वीं पुण्यतिथि मनाई गई.
इस अवसर पर शहर के सात पुलिया मसूदा रोड चौराहा स्थित महात्मा ज्योतिबा फुले सर्किल पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में माली समाज ब्यावर सहित सर्व समाज के लोगों ने महात्मा ज्योतिबा फुले की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किए.
यह भी पढ़ेंः 'बाप' ने बिगाड़ा बीजेपी-कांग्रेस का खेल! बांसवाड़ा की 5 सीटों पर किस करवट बैठेगा ऊंट, जानें सब कुछ
इस दौरान विभिन्न वक्ताओं ने महात्मा ज्योताबा फूले की और से किए गए समाज सुधार के कार्य को याद करते हुए उनके द्वारा बताए गए समाज सेवा के कार्यों को अपने जीवन में आत्मसात करने और उनके जीवन आदर्शो को जीवन में अपनाने का संकल्प लिया.
पुण्यतिथी कार्यक्रम के दौरान बड़ाबास अध्यक्ष कैलाश गहलोत, पूर्व अध्यक्ष मदन सोलंकी, महेन्द्र गहलोत, प्रमोद चौहान, गणपत मरोठिया, गोपाल सोलंकी, राजेन्द्र दगदी, दिलीप दगदी, मुकेश गहलोत, नरेश मरोठिया, कमल छत्रावत, रवि गहलोत, राजू भाटी, श्रवण सांखला, लोकेन्द्र गहलोत, पुनीत गहलोत तथा मनीष चौहान आदि मौजूद रहे.
यह भी पढ़ेंः Weather Update: जयपुर में नॉन-स्टॉप रिमझिम बारिश का दौर जारी! ठंड के चलते घरों में दुबके लोग
बता दें कि जन्म महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले का 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था. वह एक एक भारतीय समाज सुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, समाजसेवी, लेखक, दार्शनिक तथा क्रान्तिकारी कार्यकर्ता थे, जिनको इन्हें महात्मा फुले एवं 'ज्योतिबा फुले' के नाम से भी जाना जाता है.
ज्योतिबा फुले ने महिलाओं व पिछड़े और अछूतो के उत्थान के लिय इन्होंने अनेक काम किए. इसके साथ ही वह समाज के सभी वर्गो को शिक्षा प्रदान करने के प्रबल समर्थक थे. इनका मूल उद्देश्य स्त्रियों को शिक्षा, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन करना रहा. फुले समाज की कुप्रथा, अंधश्रद्धा की जाल से समाज को मुक्त करना चाहते थे.
ज्योतिबा फुले ने अपना पूरा जीवन स्त्रियों को शिक्षा प्रदान कराने में, स्त्रियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में व्यतीत किया. उन्होंने लड़कियों के लिए भारत देश की पहली पाठशाला पुणे में बनाई थी.