Ajmer: राजस्थान के अजमेर में स्थित हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में 810वा उर्स 2 फरवरी से शुरू होगा. परंपरा के अनुसार भीलवाड़ा का गौरी परिवार बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की रस्म अदा करेगा और इसके साथ ही उर्स 810 की औपचारिक शुरुआत होगी.


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78 सालों से न‍िभा रहे रस्‍म
उर्स पर झंडा चढ़ाने की यह रस्म गौरी परिवार 78 सालों से निभा रहा है. गौरी परिवार के फखरुद्दीन ने बताया कि अजमेर दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की रस्म के बाद ही असर की नमाज होगी. इससे पूर्व गेस्ट हाउस से झंडे का जलसा रवाना होगा और लंगर खाना गली दरगाह बाजार निजाम गेट होता हुआ बुलंद दरवाजा पहुंचेगा.


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फखरुद्दीन गौरी ने बताया कि उर्स का झंडा चढ़ाने की परंपरा वर्ष 1928 में पाकिस्तान के पेशावर के सैय्यद अब्दुल सत्तार बादशाह जान ने शुरू की थी उनके बाद लाल मोहम्मद गौरी ने 1944 से इस परंपरा को आगे बढ़ाया और उन्होंने 1991 तक रस्म निभाई है. उनके बाद मोइनुद्दीन गौरी ने 2006 तक इस परंपरा को निभाया और इसके बाद वे इस रस्म को निभा रहे है. इस बार करीब 30 लोग  भीलवाडा के परिवार से आए है. साथ ही उन्होंने बताया कि इस साल ख्वाजा गरीब नवाज के दरगाह में गौरी परिवार ने दुआ मांगी कि कोविड-19 और ओमिक्रोन जैसी महामारी पूरे देश में दुनिया से जल्द खत्म हो और जल्द ही दुनिया में अमन चैन हो.


Report: Manveer Singh