Ajmer: कोरोना से मुक्ति के लिए ग्रामीणों ने ली देवी की शरण
ग्रामीणों ने मां काली के दरबार में जाकर मां की प्रतिमा को चुनरी ओढ़ाकर विधि-विधान पूर्वक मां की पूजा अर्चना कर नमन करते हुए मां काली के चबूतरे से लेकर गांव के चारों और ज्योत निकालकर गो मूत्र, नमक और राई की लक्ष्मण रेखा खींची है.
Ajmer: वैश्विक महामारी कोरोना की तीसरी लहर के साथ-साथ बढ़ते ओमिक्रोन (omicron) के खतरे के बीच पीसांगन उपखंड क्षेत्र के फतेहपुरा में ग्रामीणों ने सर्व मंगल की कामना को लेकर अगुणी नाड़ी की पाल पर स्थित मां काली की देहरी धोकते हुए मां काली को चुनरी ओढ़ाकर मां काली के चबूतरे से लेकर पूरे गांव में चंहु और ज्योत के साथ गो मूत्र, नमक और राई की लक्ष्मण रेखा खींचकर मां काली से सर्व मंगल की कामना की है.
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सरपंच सीमा चौधरी ग्रामीण शिवजी, चबरवाल, नोरतमल, कारवाल, रूपेंद्र, भंवरलाल, दादरवाल, नेनाराम जाट आदि ने बताया कि कोरोना (corona) जैसी वैश्विक महामारी की आहट देती तीसरी लहर के साथ ओमिक्रोन के बढ़ते खतरे से पार पाने को लेकर जहां देश-प्रदेश की सरकारें और विश्व समुदाय प्रयासरत है इन हालातों में हम सब की नैतिक जिम्मेदारी और दायित्व है कि हम लोग भी अपनी जिम्मेदारी समझे और सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कोरोना और ओमिक्रोन को शिकस्त दे.
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बायां सा महाराज की पुजारी कमलादेवी कुमावत (Kamaladevi Kumawat) के मुताबिक सनातन काल से विज्ञान के साथ-साथ धर्म आस्था और आध्यात्म भी अपनी-अपनी जगह अपना स्थान रखते है. पौराणिक सनातन काल से चली आ रही मान्यताओं और परंपराओं के चलते ही ग्रामीणों ने मां काली के दरबार में जाकर मां की प्रतिमा को चुनरी ओढ़ाकर विधि-विधान पूर्वक मां की पूजा अर्चना कर नमन करते हुए मां काली के चबूतरे से लेकर गांव के चारों और ज्योत निकालकर गो मूत्र, नमक और राई की लक्ष्मण रेखा खींची है जिससे ग्रामीणों की मां काली कोरोना और ओमिक्रोन जैसी महामारी से रक्षा करे और ग्रामीण दैवीय प्रकोप से भी बचे रहे और माता रानी सभी का सर्वमंगल भी करे.