Ajmer: 1 जून को सम्राट पृथ्वीराज चौहान की जयंती है. इतिहास में सम्राट पृथ्वीराज चौहान की वीर गाधाओं के कई किस्से मशहूर हैं. सम्राट पृथ्वीराज चौहान अपने शौर्य और वीरता के लिए जाने जाते हैं. वह शब्द भेदी बाण के साथ कई प्रतिभाओं में निपुण थे.


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पृथ्वीराज चौहान, चौहान वंश में जन्में आखिरी हिन्दू शासक थे. सम्राट पृथ्वीराज चौहान को राय पिथौरा के नाम से भी जाना जाता है. अजमेर में ही सम्राट पृथ्वीराज चौहान का जन्म हुआ. इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वीराज चौहान को मेडिसिन, गणित, इतिहास,पेंटिंग और मिलिट्री जैसी 6 भाषाओं का ज्ञान था. 1177 में पृथ्वीराज चौहान ने सिंहासन संभाला. 


इस योद्धा से हुआ था पृथ्वीराज चौहान का युद्ध 


इतिहासकारों का मानना है कि बुंदेलखंड पर जीत पाने के लिए 11वीं सदी में पृथ्वीराज चौहान ने चंदेल शासन पर हमला किया. इस युद्ध में आल्हा के भाई ऊदल को वीरगति प्राप्त हुई. इसके बाद आल्हा ने सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर हमला किया और उनको करारी हारी दी. बताया जाता है कि इसके बाद आल्हा मां शारदा की भक्ति में रम गए और उन्होंने संन्यास ले लिया.


इतिहास में अमर है पृथ्वीराज चौहान की प्रेम कथा


कई इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वीराज चौहान ने 11 वर्ष की उम्र में अजमेर और दिल्ली का शासन संभाल लिया था. पृथ्वीराज चौहान और उनकी रानी संयोगिता का प्रेम वर्तमान में भी इतिहास में अमर है. हालांकि कुछ इतिहासकार ये भी मानते हैं कि संयोगिता के पिता राजा जयचंद सम्राट पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता के प्रेम के विरोध में थे. वह हमेशा ही सम्राट पृथ्वीराज चौहान को नीचा दिखाने की फिराक में रहते थे. इसी वजह से राजा जयचंद ने संयोगिता के स्व्यंवर में पृथ्वीराज की मूर्ति द्वारपाल के स्थान पर रखी थी लेकिन पृथ्वीराज चौहान ने संयोगिता की इच्छा से उनका अपहरण किया. पृथ्वीराज चौहान ने संयोगिता का अपहरण भरी महफिल में किया और उन्हें अपनी रियासत में ले आए. जहां दोनों का विवाह हुआ. 


भारत के वीर पुत्र पृथ्वीराज चौहान अपने राज्य के विस्तार के लिए हर वक्त सजग रहते थे. इसलिए उन्होंने उस समय के पंजाब के शासक मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी पर हमला किया. इतिहासकारों का मानना है कि इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने सर्वप्रथम सरहिंद, सरस्वती और हांसी, पर अपना अधिकार किया लेकिन अनहिलवाड़ा में उनको विद्रोह का सामना करना पड़ा और उनको उनकी सेना के साथ वापस लौटना पड़ा और इसी वजह से उन्होंने सरहिंद का किला खो दिया. 


इसके बाद भी पृथ्वीराज चौहान ने हार नहीं मानी और वह दोबारा लौट कर आए और उन्होंने दुश्मनों को धूल चटाई. युद्ध में मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी अधमरे हो गए. यह युद्ध सरहिंद किले के पास तराइन नाम की जगह पर हुआ था और इसी वजह से इसे तराइन का युद्ध भी कहा जाता है. बताया जाता है कि इसके बाद मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी ने कन्नौज के राजा जयचंद के साथ मिलकर पृथ्वीराज चौहान को हराने की योजना बनाई और उन पर हमला कर दिया. संयोगिता को स्व्यंवर से अपहरण करने के कारण किसी भी अन्य राजपूत राजा ने उनका साथ नहीं दिया और उनको युद्ध सिर्फ अपनी ही सेना के साथ लड़ना पड़ा. युद्ध का परिणाम पृथ्वीराज चौहान के विपक्ष में रहा और गौरी ने चौहान को बंधी बना लिया.


क्या कहता है पृथ्वीराज रासो


पृथ्वीराज रासो के मुताबिक मोहम्मद शहाबुद्दीन गौरी पृथ्वीराज चौहान को कैदी रूप में गजनी ले गया जहां पृथ्वीराज चौहान को अंधा कर दिया गया. हालांकि इस दौरान पृथ्वीराज चौहान की उनके मित्र चंदबरदाई से मुलाकात हुई. इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वीराज चौहान शब्द भेदी बाण की कला में निपुण थे. जब पृथ्वीराज चौहान और उनके मित्र चंदबरदाई को गौरी के सामने ले जाया गया तो चंद बरदाई ने पंक्तियां कहीं, '' चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान''. इसके बाद पृथ्वीराज चौहान ने गौरी पर निशाना साधा और गौरी की हत्या कर दी. इस घटना के कुछ देर बाद ही पृथ्वीराज और चंद बरदाई ने एक दूसरे को मार दिया.


शब्द भेदी बाण से पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को मारा? 


हालांकि सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर लिखी गई किताब, 'विराट व्यक्तित्व सम्राट पृथ्वीराज चौहान' के मुताबिक ये अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि पृथ्वीराज चौहान ने शब्द भेदी बाण की कला का इस्तेमाल कर गौरी का अंत किया था. किताब के लेखक प्रोफेसर शिवदायल सिंह ने ये लिखा है, '' विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न मतों के कारण ये निश्चित कर पाना कि पृथ्वीराज की मृत्यु युद्ध भूमि में हुई अथवा बाद में,  अत्यंत कठिन है.''


साहित्यकार उमेश कुमार चौरासिया का कहना है कि चंदबरदाई ने जो पृथ्वीराज रासो लिखा है उसे ही हमें प्रमाणिक मानते हुए इस सत्य को स्वीकार करना चाहिए कि पृथ्वीराज ने अंधे होते हुए भी शब्द भेदी बाण विद्या के द्वारा आत्ततायी मोहम्मद गौरी को मार गिराया और स्वंय के प्राणों का भी वध कर दिया.