Nagaur: अजमेर के नागौर में 28 दिन पहले उल्का पिंड को लाइव देखने का दावा एक किसान ने किया है. किसान का दावा है कि रात डेढ़ बजे के आस-पास आसमान में दिन जैसी रोशनी का एहसास हुआ, मानो रात दिन मे तबदिल हो गया हो. किसान का केहना था कि आसमान से एक गोला निचे आते हुए दिखाई दिया और बहुत तेजी से नीचे गीरता रहा था.


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प्रत्यक्षदर्शी मोखमपुरा गांव के रामकिशोर विश्नोई ने कहा कि वह उस रात गांव से  कुछ दुर फसल की रखवाली के लिए जाग रहा था, उसके मुताबीक उल्का पिंड मोखमपुरा से उत्तर-पश्चिम की दिशा में गिरते हुए दिखाई दिया. इस खगोलीय घटना पर ISRO की फिजिकल रिसर्च लैब की टीम जांच कर रही है. वहीं एक होटल के CCTV में  उल्का पिंड गिरने की घटना कैद हुई, जिसकी जांच कर वैज्ञानिकों का अनुंमान है कि उल्का पिंड वहां से उत्तर दिशा में 40 किलोमीटर के क्षेत्र में गिरा है.


समझा आम घटना 
रामकिशोर विश्नोई ने कहा की बारिश के मौसम में बिजली गिरने जैसी सामान्य मान लिया था, लेकिन जब खबर जानी और उल्का पिंड गिरने का वीडियो देखा तो इस खगोलीय घटना पता चला और वैज्ञानिक इसके बारे मे जांच कर रहे हैं.


वैज्ञानिकों की टीम ने ली डिटेल्स
रामकिशोर विश्नोई की सुचना मिलने के बाद एस्ट्रो एंथोसिएस्ट ग्रुप के त्रिलोक चंद अपनी टीम के साथ बुटाटी, सांजू और खाटू क्षेत्र के गांवों में पार्टिकल्स सर्च कर रहे हैं. उनका माना है कि अगर सब टीम के मुताबीक हुआ तो एक सप्ताह में वो इस पार्टिकल्स को ढूंढ लेंगे.


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कैसा होता है उल्का पिंड
उल्का पिंड पत्थर या लोहे से भरपूर होते हैं, रिसर्चर साइंटिस्ट प्रतीक त्रिवेदी ने बताया कि यह टूटे हुए या फिर तैरते हुए मिल सकते हैं. वह जल जाते है या फिर धरती पर आने के बाद बचे हुए टुकड़े मिल जाते हैं.


राजस्थान में उल्का पिंड
अब तक राजस्थान में 21 उल्का पिंड गिर चुके हैं,  6 अलग-अलग प्रकार के उल्का पिंडों की पहचान 2000 के बाद से की जा चुकी है. उल्का पिंड के नाम उनके गिरने स्थान या फिर खोजे जाने के स्थान पर रखा जाता है.


एरिया को ट्रैक कर गया
किसान के दावे के बाद वैज्ञानिकों की टीम को साइड एंगल मिल चुके हैं और साइंटिस्ट त्रिलोकचंद और उनकी टीम ने उल्का पिंड के पार्टिकल्स की सर्च शुरू कर दी है. सर्च के लिए वैज्ञानिक लोगों से बात कर रहे है और सैटेलाइट ग्राफिक्स के जरिए एरिया को ट्रैक कर खोज कर रही  है.