राजस्थान में यहां पिंडदान करने से कई पीढ़ियों को मिलती है मुक्ति, भगवान श्री राम ने भी किया था पूर्वजों का श्राद्ध
आज हम राजस्थान की एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पिंडदान करने से पितरों के मोक्ष मिल जाता है. भगवान श्री राम ने भी यहां अपने 7 कुलों और 5 पीढ़ियों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया था.
Pushkar: हिंदू धर्म के अनुसार, इंसान के मरने के बाद उसकी आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए पिंडदान किया जाता है, जो बड़ा ही शुभ होता है. भारत के अलग-अलग हिस्सों में पिंडदान करने के लिए हजारों लोग पहुंचते हैं, जैसे प्रयागराज, हरिद्वार, चित्रकूट, गंगासागर, जगन्नाथपुरी, कुरुक्षेत्र आदि में इस शुभ काम के लिए लोग जाते हैं, लेकिन आज हम राजस्थान की एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पिंडदान करने से पितरों के मोक्ष मिल जाता है.
भगवान श्रीराम ने 7 कुलों और 5 पीढ़ियों का किया श्राद्ध
यह जगह राजस्थान का पुष्कर है. यहां श्राद्ध पक्ष पर हर दिन देश के अलग-अलग हिस्सों से लाखों लोग पिंडदान करने के लिए पहुंचते हैं. कहा जाता है कि अजमेर के पुष्कर में 7 कुलों और 5 पीढ़ियों तक के पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए श्राद्ध किए जाते हैं. यहां के लोग की मान्यता के अनुसार, भगवान श्री राम ने भी पुष्कर में ही अपने 7 कुलों और 5 पीढ़ियों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध किया था.
श्रीकृष्ण ने की थी तपस्या
महाभारत के वनपर्व के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने पुष्कर में दीर्घकाल तक तपस्या की थी और सुभद्रा के अपहरण के बाद अर्जुन ने भी पुष्कर में ही आराम किया था. इसके अलावा भगवान श्री राम अपने पिता दशरथ का श्राद्ध भी पुष्कर में किया था. पुष्कर में 'गया कुंड' नामक कुंड का बेहद महत्व है.
गायों को खिलाएं खाना
लोगों का कहना है कि जो लोग इस कुंड के पास अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं, उन्हें दस गुणा लाभ मिलता है. वहीं, यहां पिंडदान करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाना शुभ माना जाता है और यहां गायों को भोजन देना भी शुभ माना जाता है. बता दें कि गायों को भोजन देना भी इसी जगह लगता है. देश के किसी भी हिस्से से आप आसानी से अजमेर के पुष्कर जा सकते हैं.