Ajmer News: आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है. लेह और कारगिल दो जिलों में सिमटा लद्दाख अभी तक एक पर्यटन स्थल के रूप में अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान रखता रहा है. मौसम की विपरीत परिस्थितियों के चलते लद्दाख एक ऐसे क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध नाम था जहां जीवन बेहद कठिन है लेकिन यूनियन टेरिटरी बनने के बाद अब हालात बदलने लगे हैं.


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यूनियन टेरिटरी के रूप में जिस तरह से एक बड़ा आर्थिक पैकेज लद्दाख को मिला है, उसके बाद लद्दाख का विकास अलग से रेखांकित किया जा सकता है. बात यदि ऊर्जा क्षेत्र की की जाए तो लद्दाख में जिस तरह की योजनाएं परवान चल रही हैं. वह बताती है कि आने वाले समय में लद्दाख ऊर्जा के क्षेत्र में देश की महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने वाला प्रदेश बनेगा.


इस विषय पर लद्दाख के उपराज्यपाल आर के माथुर बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लद्दाख को लेकर बहुत सारे सपने देखे हैं और उसमें एक बड़ा सपना लद्दाख को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है. यह बात केवल यहीं समाप्त नहीं होती. यह योजनाएं जिस तरह से परवान चढ़ रही हैं. यदि सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में लद्दाख देश के अन्य राज्यों को विद्युत आपूर्ति भी करेगा.


आगे लद्दाख के उपराज्यपाल आर के माथुर बताते हैं कि ऊर्जा के क्षेत्र में लद्दाख आने वाले दिनों में देश में प्रमुख आपूर्तिकर्ता के रूप में सामने आए. राजस्थान के मुकाबले लद्दाख में 10% ज्यादा सोलर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता है. वर्तमान में भले ही राजस्थान सोलर एनर्जी उत्पादन में अग्रणी है लेकिन लद्दाख की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां सूर्य की किरणों के रेडिएशन ज्यादा होने के चलते राजस्थान से 10% ज्यादा सोलर उत्पादन हो सकता है जिसके लिए लद्दाख एक बड़ी तैयारी में जुटा हुआ है.


बढ़ी जियोथर्मल एनर्जी की संभावनाएं
 लद्दाख में जियोथर्मल एनर्जी की संभावनाओं को देखते हुए 7.5 गीगावॉट के अक्षय ऊर्जा स्त्रोत विकसित करने का टारगेट है. इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए 9 गीगा वाट सोलर 4 गीगावॉट विंड एनर्जी के प्लांट स्थापित करने के लिए कदम बढ़ाए जा चुके हैं. लदाख की भौगोलिक स्थिति और सिंधु नदी की उपलब्धता जियोथर्मल एनर्जी की विपुल संभावनाओं को बल देती हुई नजर आती है.


यही वजह है कि 1 मेगावाट का पायलट प्रोजेक्ट ओएनजीसी के साथ शुरू करने के लिए एमओयू किया जा चुका है. इसी के साथ सोलर एनर्जी को ग्रीन हाइड्रोजन में कन्वर्ट कर इसका उपयोग यहां परिवहन के रूप में करने के दिशा में भी काम शुरू कर दिया गया है. केंद्र शासित प्रदेश के रूप में बदलने के बाद अब लद्दाख के 60% हिस्से में 24 घंटे बिजली उपलब्ध है. शेष रहे क्षेत्र को आने वाले समय में ग्रिड से जोड़ा जा सकेगा.


 इसी के साथ लद्दाख एक बड़ी योजना पर भी काम कर रहा है जिसके तहत आने वाले समय में पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों को लद्दाख के माध्यम से बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी. गौरतलब है कि यह वही लद्दाख है जहां केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले बिजली एक बड़ी समस्या थी. यही वजह थी की यदि सर्दियों में कोई अपने घरों में हीटर चलाता था तो उस पर भी जुर्माना लगाया जाता था लेकिन वहीं लद्दाख अब देश के अन्य हिस्सों को बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका को तलाश रहा है.


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