Beawar: अजमेरी गेट स्थित रामद्वारा में धर्म सभा को संबोधित करते हुए, संत गोपाल राम महाराज ने घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा सुनाते हुए बताया कि, मनुष्य हो या देवता पतन तभी शुरू होता है, जब उसमें ईष्र्या-द्वेष का भाव पैदा हो जाए. ईष्र्यालु देवता की तुलना में ईष्र्या विहीन मनुष्य महान होता है.


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भगवान शिव व राम कभी भेदभाव नहीं करते हैं. वह कभी नंदी को अपना गण बना करके को मान देते हैं. भगवान राम तो कभी गिद्ध का श्राद्ध कर पितरों जैसा सम्ममान देते हैं. चर-अचर में व्याप्त ईश्वर के प्रति नतमस्तक होने की जरूरत है. महाराज ने बताया कि देवताओं के राजा इंद्र का अहंकार ही उनको ले डूबा. जबकि ब्रजवासियों का कृष्ण के प्रति स्नेह और विश्वास उन्हें हमेशा के लिए महान बना दिया.


 महान बनने के लिए हृदय से अहंकार और ईष्र्या का भाव निकाल देना चाहिए. भगवान ने गोवर्धन को धारण किया. इससे संदेश मिलता है कि भगवान कृष्ण भी पेड़ों, नदियों और पहाड़ों के संरक्षण के प्रति चिंतित थे. गोवर्धन की पूजा कर उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि नदी पहाड़ ही हमारे प्रहरी हैं. 


इनकी हर तरह से रक्षा की जानी चाहिए. भगवान शिव को पशुपतिनाथ कहते हैं और भगवान कृष्ण को गोपाल भगवान के गोचारण से हमें सीख मिलती है कि संपूर्ण इंद्रियों को चराने वाला ही ईश्वर होता है. संत ने बताया कि गायें इंद्रियों के स्वरूप में ही जानी जाती हैं . 


धर्मसभा के दौरान रामद्वारा में बडी संखया में महिला तथा पुरूष श्रद्धालु उपस्थित थे. रामद्वारा ट्रस्ट के अनुसार श्रावण मास के पवित्र माह में चौहान कॉलोनी स्थित रामधाम रामद्वारा में रविवार से संत गोपालराम महाराज व संत पुनीतराम महाराज के सानिध्य में शिव महापुराण कथा शुरू होगी.


इस मौके पर दोपहर में बलाड रोड स्थित बाबा बर्फानी बगीची से 108 कलश व शिव महापुराण पौथी की भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी. शिव महापुराण कथा का वाचन अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के विद्वान संत गोपाल राम महाराज के द्वारा किया जाएगा. शनिवार को रामधाम में कथा पोस्टर का विमोचन संत गोपालराम महाराज के सानिध्य में किया गया.


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