Deoli uniara: देवली उपखण्ड (Deoli Subdivision) के सिरोही गांव (Sirohi village) स्थित जाट धर्मशाला में श्रीजाट समाज विकास समिति द्वारा भरतपुर (Bharatpur) के संस्थापक अजेय योद्धा महाराज सूरजमल की 315 वीं जयंती मनाई गई. जिसमें समिति के सदस्यों ने ग्रामीण युवाओं के साथ जाटों के धर्म रक्षक, अफलातून महाराज सूरजमल (Maharaj Surajmal) के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी. उनके वीरता पूर्वक किए गए कार्यों को याद किया. युवाओं ने महाराज सूरजमल (Maharaj Surajmal) से प्रेरणा लेकर सदैव धर्म की रक्षा और महिलाओं की सुरक्षा का संकल्प लिया. समिति के अध्यक्ष शिवजी चौधरी ने कहा कि महाराज सूरजमल किशोरावस्था से ही बहुत ताकतवर, साहसी यौद्धा, धैर्यवान, गंभीर, दयालु व दूरदर्शी और राष्ट्रवादी सोच के मालिक थे. दूरदर्शी सोच के कारण ही उन्होंने अजेय दुर्ग लोहागढ़ की स्थापना की थी. महाराजा सूरजमल का जन्म 13 फरवरी 1707 को भरतपुर के सिनसिनी गांव में हुआ था.


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 महाराज सूरजमल (Maharaj Surajmal) के नेतृत्व में जाटों ने मुगलों को परास्त कर आगरा, फरुक्खाबाद से लेकर बिजनौर, पानीपत, दिल्ली तक के क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया था. 25 दिसम्बर 1763 की रात को दिल्ली के शाहदरा इलाके के पास हिंडन नदी के किनारे पर मुगल सेना द्वारा घात लगाकर किए गए एक हमले में महाराज सूरजमल वीरगति को प्राप्त हुए थे. 


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महाराज की वीरता और शौर्य का मुगलों में इस कदर खौफ था कि मृत्यु के पश्चात भी मुगलों को सहज ही ये विश्वास नहीं हुआ था कि सूरजमल मारे गए. मुगल शासक ये कहते थे कि 'जाट मरा तब जानिए जब तेरहवीं हो जाएं' नानूलाल चौधरी ने ग्रामीण युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि महाराज सूरजमल ऐसे महान प्रतापी और पराक्रमी यौद्धा (invincible warrior) थे जो दोनों हाथों से तलवार चलाते थे. इस दौरान उद्दालाल, विजय सिंह, रामलाल जाट सहित समिति के अन्य सदस्य व ग्रामीण मौजूद रहे.


Report: Purshottam Joshi