Mahashivratri in Ajmer:  शनिवार को महाशिवरात्रि (Mahashivratri ) के अवसर पर अजमेर में मराठाकालीन 4 शिवालय में लोगों की गहरी आस्था है. प्राचीन कथाओं को अनुसार जब अजमेर में सम्राट पृथ्वीराज चौहान के साम्राज्य के बाद कई उतार-चढ़ाव आए तो  मुगलों के साथ ही यहां मराठों ने भी  शासन किया था.  इसी दौरान यहां नए मंदिरों की स्थापना भी की गई थी.


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माना जाता है कि मराठा महारानी अहिल्या बाई(Ahaliya bai Holkar) की भगवान शंकर में गहरी आस्था थी. उन्होंने काशी विश्वनाथ समेत कई प्रमुख शिव मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाया था. उस दौर में अजमेर में भी मराठों का शासन था. सन 1790 में अहिल्याबाई होल्कर के निर्देश पर सूबेदार गोविंदराव कृष्णा ने अजमेर में चार प्रमुख शिवलिंगों की स्थापिना कर मंदिर का निर्माण करवाया था. इन चार प्रमुख शिवालयों में एक अजमेर शहर की हृदय स्थली मदार गेट स्थित शांतेश्वर महादेव, कोतवाली थाने के नजदीक राज राजेश्वर, नया बाजार स्थित शिव बाग में अर्द्ध चंद्रेश्वर और दरगाह क्षेत्र में अंदरकोट के समीप पहाड़ी पर झरनेश्वर महादेव हैं.


इन शिवालयों में प्रतिदिन भक्तों का आना-जाना लगा रहता है. लेकिन भगवान भोलेनाथ के महीने सावन में और महाशिवरात्रि महाशिवरात्रि (Mahashivratri ) के अवसर पर अजमेर के साथ ही आसपास के कई लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. वही शिवरात्रिमहाशिवरात्रि (Mahashivratri )  के अवसर पर भी मंदिर में साज-सज्जा के साथ ही भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार भी किया जाता है जिसे देखने के लिए भी लोग यहां पहुंचते हैं. शिवरात्रि के अवसर पर भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेकर मनोकामनाएं मांगते हैं.