Nasirabad : चमत्कारिक देवरी माता मंदिर तक पहुंचना किसी चमत्कार से कम नहीं, नवरात्रि पर कच्चा रास्ता बोझिल करता है सफर
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि देवरी माता की प्रतिमा इतनी चमत्कारिक थी कि गांव में कोई भी चोर या डकैत प्रवेश करता तो आवाजे गूंजने लग जाती थी
Nasirabad : नसीराबाद के पास बाघसुरी में विख्यात चमत्कारी देवरी माता मंदिर पर धार्मिक माहौल में जयकारों के साथ पुजारी जगदीश शर्मा के सानिध्य में शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना की गई. कलश स्थापना के इस मौके पर देवरी माता मंदिर में भी विशेष पूजा अर्चना की गई. चमत्कारिक विख्यात देवरी माता के विशाल मेले के अवसर पर जगदंबा मेला कमेटी के नेतृत्व में जागरण, कबड्डी प्रतियोगिता हुई और विशाल मेला भरा.
अजमेर के नसीराबाद के पास बाघसुरी गांव की पहाड़ी पर विख्यात चमत्कारी देवरी माता की प्रतिमा है. बाघसुरी गांव के बुजुर्गों और मंदिर के रखरखाव करने वाली कमेटी ने बताया कि लगभग 3-4 सौ साल पहले राज परिवार और ग्रामवासियों की मदद से बाघसुरी के झड़वासा मार्ग पर देवरी माता प्रतिमा की स्थापना की गई थी.
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि देवरी माता की प्रतिमा इतनी चमत्कारिक थी कि गांव में कोई भी चोर या डकैत प्रवेश करता तो आवाजे गूंजने लग जाती थी और डकैतों भाग जाते. इसलिए चोर डकैतों ने प्रतिमा को मंदिर में से चुराकर ले जाने की कोशिश की.
चार चोर जब इस प्रतिमा को बाघसुरी गांव से चुरा कर ले जा रहे थे. तभी बाघसुरी की सीमा पर पहाड़ी पर कुछ देर के लिये रुके और सुस्ताने लगे. इतनी सी देर में प्रतिमा में वजन इतना अधिक हो गया कि वहां से प्रतिमा हिलाना भी उनके लिए नामुमकिन हो गया. कहते हैं कि चारों चोर उसी पहाड़ी पर पत्थर बन गये.
राज परिवार के ठाकुर नाहरसिंह, उनके पुत्र लक्ष्मण सिंह, उनके पुत्र ओंकार सिंह और उनके पुत्र अजय विक्रम सिंह ने देवरी माता मंदिर की ग्रामवासियों के साथ विशेष संभाल की. देवरी माता प्रतिमा अपना चमत्कार सूर्य की किरणों की तरह बाघसुरी के लगभग हर घर में पहुंचा रही थी, ऐसे में कुछ चोर प्रतिमा को चुराकर चित्तौड़ के पास गांव में ले गए और उसे खंडित कर दिया.
खण्डित की गई उस प्रतिमा को पुष्कर सरोवर में ठाकुर औंकार सिंह ने प्रवाहित कराया. लेकिन चोर पहाड़ी से सिर्फ प्रतिमा लेकर गए और त्रिशूल वहीं पर विराजमान रहा और अपनी शक्तियां दिखाता रहा. भक्त अब इस त्रिशूल की ही पूजा अर्चना करने लगे.
वर्तमान समय से लगभग 6 दशक पूर्व हवन यज्ञ पूजा अर्चना के साथ विधि विधान से प्रतिमा स्थापित की गई. कमेटी ने बताया कि सुजान सोनी और चांद सोनी के साथ ही बाघसुरी के ग्रामवासियों का इस मूर्ति स्थापना में विशेष सहयोग रहा. बाघसुरी गांव के पास ऊंची पहाड़ी पर स्थित इस प्रतिमा के चमत्कार के कारण दूर.दराज से श्रद्धालु अपनी मनोकामना को लेकर पहुंचने लगे और देवरी माता मंदिर दूर.दराज तक विख्यात हो गया.
पर्यटक स्थल के रूप में विकसित
कमेटी के पदाधिकारी, सदस्य एवं ग्रामीण चमत्कारी देवरी माता मंदिर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर रहे हैं. ऊंची पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के विकास के लिए अथक प्रयास किए जा रहे हैं और इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू कर दी गई है. इतना ही नहीं बल्कि इस पहाडी के चारों तरफ परिक्रमा के लिए विशेष रूप से परकोटा तैयार किया गया है और मंदिर के निकट ही पत्थर मिट्टी आदि का भराव करके एक बड़ा टापू तैयार किया गया, जिसका सौंदर्यकरण कार्य जारी है
लेकिन विडम्बना ये कि इस चमत्कारी माता मंदिर जाने का रास्ता बेहत खराब है.कई जनप्रतिनिधियों द्वारा आश्वासन दिए जाने के बावजूद हालात ज्यों के त्यों बने हुए हैं. ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग का सुदृढ़ीकरण अथवा पैवरीकरण के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया गया, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ.
देवरी माता मंदिर के रखरखाव में पूर्व रक्षा सचिव अजय विक्रम सिंह, पूर्व प्रधान महेंद्र विक्रम सिंह, उपसरपंच मुकेश पोखरना, मेला कमेटी अध्यक्ष शंभूलाल पाराशर, सरपंच रेशमी काठात, उपाध्यक्ष मुकेश प्रजापत एलआईसी, कल्याणमल सेन, नानूराम शर्मा, सोहनलाल खारोल, जगदीश प्रसाद शर्मा, शिवप्रसाद काबरा, सुरेश चौधरी, जगमाल सिंह भाटी, रामरतन सिंह, स्वरूपचंद सोनी, पूर्व सरपंच देवेंद्र सिंह गुर्जर, रामेश्वर वैष्णव, हरीकिशन रावत, चंद्रप्रकाश सोनी, ग्यारसीलाल रावत, जुगलकिशोर शर्मा आदि का विशेष सहयोग है
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