नसीराबाद में भाषाहरड़ी माताजी मंदिर पर सात दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम, उमड़ी भक्तों की भीड़
नसीराबाद के निकट देराठूं गांव स्थित प्राचीन भाषाहरड़ी माताजी मंदिर पर सात दिवसीय शतचंडी महायज्ञ, हवन आहुति, श्रीमद् भागवत कथा, रासलीला, कलश स्थापना आदि धार्मिक कार्यक्रम श्रद्धा और उल्लास के साथ आयोजित किए गए.
Nasirabad: अजमेर के नसीराबाद के निकट देराठूं गांव स्थित प्राचीन भाषाहरड़ी माताजी मंदिर पर सात दिवसीय शतचंडी महायज्ञ, हवन आहुति, श्रीमद् भागवत कथा, रासलीला, कलश स्थापना आदि धार्मिक कार्यक्रम श्रद्धा और उल्लास के साथ आयोजित किए गए.
इस विशाल धार्मिक कार्यक्रमों में देराठूं सहित निकटवर्ती क्षेत्रों के श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा और भाषाहरड़ी माताजी मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा मनोकामना पूर्ण करने और दुख कष्ट निवारण के लिए विशेष पूजा अर्चना की गई.
देराठूं गांव स्थित भाषाहरड़ी माताजी मंदिर पर शतचंडी महायज्ञ हवन आहुति श्रीमद् भागवत कथा और रासलीला धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन सरपंच विजेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व एवं बनारसीदास महाराज बालकदास त्यागी महाराज के सानिध्य में आयोजित किया गया.
इस अवसर पर बनारस के पंडित रजित शास्त्री एवं वाराणसी स्थित मारुतिनंदन आश्रम के केदारनाथ शास्त्री रहे. वृंदावन की रासलीला मंडली के नंदकिशोर द्वारा रासलीला का आयोजन किया गया. भागवत कथा वाचन मिथिलेश किशोरी के नेतृत्व में की गई. सात दिवसीय कार्यक्रम विशाल कलश यात्रा के साथ शुभारंभ होकर भाषाहरड़ी माताजी मंदिर के शिखर पर कलश स्थापित करके समापन किया गया.
इस धार्मिक कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए छोटे बड़े झूले, मौत का कुआं, ट्रेन, छोटे बच्चों के लिए विशेष प्रकार के छोटे झूले आदि लगाए गए. धार्मिक कार्यक्रम में मेले जैसा माहौल होने के कारण चाट, पकौड़ी, आइसक्रीम आदि के ठेले भी लगाए गए. ग्रामीण परिवेश में उपयोग किए जाने वाले श्रृंगार और घरेलू सामान की अस्थाई दुकानें भी सजाई गई, जहां पर श्रद्धालुओं ने जमकर खरीदारी की.
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धार्मिक कार्यक्रम में धर्मलाभ के लिए दिन भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. कार्यक्रम के तहत सुबह से दोपहर तक हवन यज्ञ, दोपहर के बाद शाम तक श्रीमद् भागवत कथा वाचक और इसके बाद रासलीला का आयोजन किया गया. इसके चलते सात दिन तक सुबह से देर रात तक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किए जाने से देराठूं कस्बा धार्मिक नगरी के रूप में नजर आने लगा. मंत्रोचार और जयकारों की आवाजे ध्वनि प्रसारण यंत्रों से दूर-दूर तक गूंजती रही. वहीं, दूसरी तरफ हवन यज्ञ में गूगल आदि की सुगंध दूर-दूर तक फैलने से देराठूं क्षेत्र का माहौल धर्ममय हो गया.
समाजसेवी जगदीश चौधरी ने बताया कि देराठूं गांव के सनोद मार्ग स्थित पहाड़ी पर भाषाहरड़ी माता का मंदिर है. पहाड़ी पर स्थित यह यह मंदिर देखने में जितना छोटा है, उतना ही इस मंदिर का चमत्कार बड़ा बताया जाता है. गांव के बुजुर्ग ग्रामीणों ने बताया कि इस मंदिर पर पाड़ों की बली चढ़ाई जाती थी, लेकिन अब इसे प्रतिबंधित कर दिया गया है.
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