सुरमई शाम में मना सिंधी साहित्यकार नारायण श्याम का जन्मदिन, दिखी सिंधी भाषा की समृद्धता
सिंधी भाषा समृद्ध है, इसका साहित्य उच्च कोटि का है. सिंधी समाज में भी ऐसे अनेक साहित्यकार कवि ,लेखक, नाटककार हुए हैं, जिन्होंने अपना श्रेष्ठ साहित्य समाज को उपलब्ध कराया है.
Beawar: सिंधी भाषा समृद्ध है, इसका साहित्य उच्च कोटि का है. सिंधी समाज में भी ऐसे अनेक साहित्यकार कवि ,लेखक, नाटककार हुए हैं, जिन्होंने अपना श्रेष्ठ साहित्य समाज को उपलब्ध कराया है. हां ,विभाजन के पश्चात हम लोग रोजी ,रोटी और कपड़े की व्यवस्थाओं में लगे रहे, जिससे हमारे साहित्य के बारे में काफी हद तक लोग अनजान हैं. पर नई पीढ़ी पुन: अपनी जड़ों की ओर लौट रही है. इसके लिए वह साधुवाद की पात्र हैं.
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यह विचार वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर अर्जुन कृपलानी ने राजस्थान सिंधी अकादमी जयपुर और पूज्य सिंधी सेंट्रल समाज ब्यावर के संयुक्त तत्वाधान में दिया. उस समय प्रोफेसर अर्जुन कृपलानी आयोजित सिंधी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार, कवि, गजल गायक नारायण श्याम के 100वें जन्मोत्सव पर सेंदडा रोड स्थित अशोक पैलेस में आयोजित संगोष्ठी व सांस्कृतिक कार्यक्रम में शमिल हुए थे.
कार्यक्रम की शुभारंभ झूलेलाल, विद्या देवी सरस्वती व कवि नारायण श्याम की छवि के समक्ष दीप प्रज्वलित व माल्यार्पण के साथ हुआ. कार्यक्रम में कशिश परेशानी ने आंधियों में जोत जगाय के जरिए सिंधी कवि नारायण श्याम के बारे में सानिया खुबानी ने विस्तृत जानकारी दी.
इसी प्रकार गजल रचनाकार के बारे में रितु तौरानी ने बताया साथ ही उनकी गजल पेश की. नावेल लेखक नारायण श्याम के बारे में विधि लालवानी ने विस्तृत जानकारी देते हुए उनके लिखे रूपमाया नावेल के बारे में बताया। पूजा कानंजानी ने उनके रोमांटिक गीत चांदनी रात है अकेला ई.... व सोनिया कान जानी ने अन्य रोशनी दे...., नंदनी भोजवानी दीपिका खूबचंदानी तथा भविष्य भवानी ने पैरोडी गीत पर नृत्य पेश किया.
Reporter: Dilip Chouhan
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