Kodamar Holi: कोड़ामार होली क्या है, इसके बारें जानेंगे. जिसके चलते हुए इधर-उधर भटकते रहे. इसी बीच चंद्र सेन के युवा पुत्र कर्म सेन की नजर अजमेर राजा पृथ्वीराज चौहान की पूर्व राजधानी रेंन पर पड़ी.


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 425 वर्ष पूर्व उसने रेन के नजदीक भिनाय की स्थापना की. इस राज्य के लिए वीर सैनिकों की आवश्यकता महसूस की गई. तब राज परिवार ने जन साधारण में से वीर सैनिकों की छटनी के लिए नायाब तरकीब निकाली और कोडमार होली की शुरुआत की गई. इसमें दो दलों का गठन किया गया है पहले दल राजा समर्थक चौक पर रानी समर्थकों को कांवरिया नाम दिया गया.


 राज घराने के लिए खेला जाने वाला यह खेल कुछ समय के लिए महाजन वर्ग से जुड़ गया था, लेकिन वर्तमान में सभी वर्गों के लोग इसमें हिस्सा ले रहे हैं. फाल्गुन माह के लगते ही कस्बे के परकोटे पर स्थित दरवाजों रैन दरवाजा, भैरू दरवाजा, चौहान दरवाजा, महल और पहाड़ की चोटी पर स्थित किले में होली का डंडा रोपण कर दिया जाता है. होली के एक पखवाड़े पूर्व से ही कोडे बनाए जाते हैं, इसके लिए सूत की मोटी रस्सी का प्रयोग किया जाता है.


 धुलण्डी के दिन रंग खेलने के बाद भिनाय आस-पास के गांव के लोग को कोड़ा राड देखने के लिए कोड़ा बाजार में आ जाते हैं, दोनों के बीच में कोड़ा मारने की होड़ सी लगी रहती है. जो पहले मैदान छोड़कर भाग जाता है, उसे हारा हुआ माना जाता है पूर्व में राजाओं के समय यह खेल से 6 घंटे तक दिन और रात में खेला जाता था. बाद में यह खेल 15:20 मिनट में वर्तमान में पांच साथ मिनट ही चलता है.


 दलों की रक्षा दोनों तरफ भेरू जी की मूर्ति रखी जाती है ढोल नगाड़ा बजाया जाता है साथ ही साथ ही वर्तमान में इस खेल के माध्यम से समाज में आने वाली बुराइयों का विरोध करने का संदेश भी इसी खेल के माध्यम से दिया जाता है.


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