Alwar News: त्योहारी सीजन की शुरुआत हो गई है. लोगों ने तैयारियां भी शुरू कर दी है. घर की सफाई, कपड़े, गहनों, ईत्यादी की शॅापिंग इन सब की शुरूआत हो गई है. ऐसे में दीपावली है और मिठाईयां ना हो, ऐसा हो नहीं सकता. लोग पहले से ही मिठाईयो की लिस्ट बना लेते है और यह सोच लेते है कि कौन सी मिठाई खरीदनी हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से बाजार में अच्छी मिठाईयां मिलना मुश्किल हो गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पूरी खबर


दीपावली पर्व में लोग अपने प्रियजनो को मिठाईयां गिफ्ट करते है, ऐसे में अगर मिठाईयां अच्छी क्वालिटी की ना हो तो मुड खराब हो जाता है. लेकिन आज-कल बाजार में अच्छी मिठाईयां मिलनी मुश्किल हो गई है. दीपावली के पर्व में अलवर के लोगों की रुझान मावे की मिठाइयों पर अधिक होती हैं. लेकिन पिछले कई सालो से नकली मावे की मिठाईयों की वजह से अलवरवासियों की रुझान मावे की मिठाइयों से हटकर ड्राई फ्रूटस की मिठाइयों की ओर बढ़ने लगी है. इसके साथ ही कलाकंद को भी बहुत पसंद करते है, ऐसे में कलाकंद की डिमांड आज भी काफी है.


असली मावे की जगह नकली मावे की मिठाई
बाताया जा रहा है कि पिछले दों तीन सालो से बाजार में असली मावे की जगह दुकानदार नकली मावे की मिठाइ बना कर बेच रहे हैं. ऐसे में अगर आप अपने दोस्तो एवं रिस्तेदारों को  मिठाइयां गिफ्ट करना चाहते हो तो मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसी को ध्यान रख कर अलवर के लक्ष्मी मिष्ठान भंडार में पिछले कुछ सालो से असली मावे की मिलने लगी हैं. 


यह भू पढ़े: PGT और PRT में आवेदन कर बन सकते है शिक्षक, जाने आवेदन की प्रक्रिया


लक्ष्मी मिष्ठान भंडार के ओनर हितेश ठाकुर ने बताया कि पिछले दो-तीन सालों से अलवर के लोगों का टेस्ट मावे की मिठाइयों से हटकर ड्राई फ्रूट्स से बनी हुई मिठाइयों पर चला गया है. इसका कारण यह माना जा रहा है कि पिछले कई वर्षों से अलवर जिले में नकली मावे की बनने वाली मिठाइयां बेची जा रही है, जिसके वजह से स्वास्थ्य को भी काफी नुकसान होता है. इसी वजह से शहर वासियो का रुझान ड्राई फ्रूट्स की मिठाई की ओर बढ़ाता जा रहा है, लेकिन ड्राई फ्रूट्स के मिठाइयों के अलावा लोग कलाकंद को भी काफी पसंद करते है. काजू कतली, काजू रोल, पिस्ता बर्फी, बादाम बर्फी, काजू पाक सहित अन्य मिठाइयां को खरीदना लोग ज्यादा पसंद करते है. हितेश ठाकुर ने बताया कि, अलवर जिले का कलाकंद विदेश तक बहुत फेमस माना जाता है, लेकिन कई बार नकली मावे की वजह से अलवर के कलाकंद पर भी असर देखने को मिल रहा है.


ड्राई फ्रूट्स से बनी मिठाईयों की अधिक डिमांड 
उन्होंने बताया कि आज भी मावे का आइटम भी बाजारों में बिकता है, लेकिन जितना बिकता था अब उतना नहीं बिकता. उन्होंने बताया मावे से बनी मिठाइयों की कीमत 350 रुपए से लेकर 450 रुपए तक का रहता है, और साथ ही ड्राई फ्रूट्स में काजू से बनी मिठाइयों की कीमत 700 से लेकर 900 रुपये प्रति किलो तक रहता है.दिवाली के  समय में अधिक मिलावट की वजह से काजू से बनी हुई मिठाई भी लोग ज्यादा प्रेफर करते हैं. हालांकी लोग आज भी गुलाब जामुन, बालूशाही, काजू कतली, काजू रोल मिठाइयां बहुत ज्यादा डिमांड में रहती हैं.


यह भू पढ़े: झुंझुनूं के आयकर विभाग में लगी भीषण आग, इतने का हुआ नुकसान


दिवाली के पहले ही शुरू हो जाती है खरीददारी
हितेश ठाकुर ने बताया कि त्योहारों की  सीजन को देखते हुए अलवर शहर में 10 दिन पहले से ही  मिठाई बनानी शुरु हो जाती है,जिसके लिए मावा अलवर में  ही तैयार किया जाता है. बाद में मावे को अच्छे से पका कर मिठाइयां बनाई जाती हैं.उन्होंने बताया कि दिवाली के समय मिठाइयों का बाजार अच्छा रहता है.लोग तीन-चार दिन पहले से ही अपने सगे संबंधी और दोस्तों को भेजने के लिए मिठाई खरीदना शुरु कर देते हैं.