Alwar news: पिछले दिनों प्रदेश स्तर पर वनविभाग के कार्यरत कर्मचारियों ने अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन किया, जिससे प्रदेश में वन अभ्यारण्य में सैलानियों का आना बंद हो गया था. वन्य जीवों पर भी खतरा मंडराने लगा था, आखिर सरकार के आश्वासन के बाद वनकर्मी काम पर लौटे, लेकिन आज तक सरकार द्वारा उनकी मांगों पर गौर नही किया गया. जिसके चलते राजस्थान अधीनस्थ वन कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री रामवीर गुर्जर के नेतृत्व में खून से लिखे पत्र 23 मार्च को वन मंत्री और विभाग को भेजे.


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सरकार कर रही है मांगो को अनदेखा  
लेकिन सरकार ने फिर भी अनदेखा कर दिया, रामवीर गुर्जर ने बताया प्रदेश स्तर पर वन कर्मचारियों के चले आंदोलन के बाद हुई वार्ता में सहमति बनने के बाद आंदोलन को स्थगित कर दिया गया था, सरकार से उम्मीद थी कि सरकार के इस आखिरी बजट में कुछ उन्हें राहत देगी लेकिन पूरी तरह वनकर्मियों की अनदेखा कर दिया गया. जिससे वनकर्मचारियो में निराशा और आक्रोश है. जिसके चलते पिछले दिनों कर्मचारियों ने अपने खून से लिखे मांग पत्र सरकार के पास भेजे गए लेकिन सरकार कोई ध्यान नही दे रही उल्टा उन्हें ही निलंबित कर दिया गया.


मांग उठाने पर किया जा रहा है निलंबित
रामवीर गुर्जर ने बताया वन कर्मियों के पास कोई संसाधन नही है. जिससे हम वन्य जीवों की रक्षा कर सके ,अवैध खनन को रोक सके ,वन्य जीवों के रेस्क्यू के नाम पर बिल तो उठा लिए जाते लेकिन हमें अपने संसाधनों से जीवों को इलाज के लिए लेकर जाना पड़ता है , वन क्षेत्र के हिसाब से कर्मचारियों की संख्या और मानदेय भी कम है । इन मांगों को उठाने का खामियाजा है कि उन्हें निलंबित कर दिया गया.