राजस्थान की ये डिजिटल लाइब्रेरी बदल रही कई छात्रों का जीवन, 3 सालों से रिकॉर्ड रिजल्ट
अलवर न्यूज: इंटरनेट ने दुनिया में हर एक को जोड़ कर रखा है ,चाहे शिक्षा हो, चिकित्सा हो,या हो बैंकिंग. वहीं ग्रामीण स्कूल के बच्चे छुट्टियों में इंटरनेट के माध्यम से चलने वाली डिजिटल लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ाई कर देश में अपना योगदान देने के लिए तैयारियों में लगे हुए हैं.
Alwar: अलवर शहर के समीप साहोडी गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक स्कूल में बच्चे इन दिनों गर्मी की छुट्टियों में भी डिजिटल पढ़ाई कर रहे है. इस गांव के स्कूल में खास बात यह है कि यहां बिजली की परेशानी से निजात के लिए सोलर पैनल लगाया हुआ है.
इस सोलर पैनल को एक निजी संस्था द्वारा लगाया गया. इसके अलावा इस स्कूल की दशा इतनी खराब थी कि इस स्कूल के कायाकल्प के लिए भी उसी संस्था ने इसका जीर्णोद्धार कराया और अब यह स्कूल दूर से ही अपनी आभा बिखेर रहा है . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट डिजिटल इंडिया का असर अब इस स्कूल में दिखाई देता है.
6 महीने पहले ही डिजिटल लाइब्रेरी शुरू
यह स्कूल किसी भी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं दिखाई देता है. इस स्कूल की खास बात यह है कि जहां यहां सौर ऊर्जा से बिजली मिलती है वही यहां डिजिटल लाइब्रेरी में स्कूली बच्चे नियमित रूप से पढ़ाई करते है. राजस्थान सरकार ने भले ही डिजिटल लाइब्रेरी अभी शुरू की हो लेकिन इस स्कूल में 6 महीने पहले ही डिजिटल लाइब्रेरी शुरू हो गई थी. जो सरकारी स्कूल के बच्चों को ज्ञान अर्जित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है .
शिक्षा के क्षेत्र में अलवर जिले में काम कर रही सहगल फाउंडेशन के प्रतिनिधि पवन ने बताया कि डिजिटल लाइब्रेरी यहां फाउंडेशन द्वारा बनाई गई है .बच्चे पूरी तरह पढ़ते है और डिजिटल रूप से सशक्त हो रहे है. संस्था द्वारा यहां 10 कंप्यूटर लगाए गए हैं. जिनमें कक्षा 1 से लेकर कक्षा बारहवीं तक के हर विषय का सिलेबस को इन कंप्यूटर में डाला गया है. अलग-अलग क्लास के अलग-अलग पासवर्ड हैं.
जैसे ही जिस कक्षा का नंबर आता है या जिस विषय का नंबर आता है उस कक्षा के विद्यार्थी इस डिजिटल लाइब्रेरी में जाकर पढ़ते हैं. और यह ऑनलाइन पढ़ाई करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसके कारण बच्चे पूरी तरह अब प्राइवेट स्कूल की प्रतिस्पर्धा के बराबर आ रहे हैं. इस स्कूल की प्रधानाचार्य किरण ने बताया कि यहां सोलर प्लांट लगने से ग्रामीण परिवेश में भी काफी बदलाव आया है .बच्चों को पूरी तरह नॉलेज मिल रही है.
कंप्यूटर का ज्ञान मिल रहा है.ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है और बच्चे जो ऑनलाइन वर्कशॉप होती है उनको अटेंड कर रहे है. 24 घंटे बिजली की उपलब्धता रहती है .जिससे बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा नहीं होती. साहोडी के सरपंच ने बताया कि यह स्कूल पूर्व में खंडहर था. इस स्कूल का जीर्णोद्धार कराया गया. डीजिटल लाइब्रेरी का निर्माण हुआ.
3 साल से दसवीं और बारहवीं का रिजल्ट भी शत-प्रतिशत
स्कूल के शारीरिक शिक्षक धर्मेंद्र सिंह नरूका ने बताया कि स्कूल का जीर्णोद्धार होने के बाद से इस स्कूल में नामांकन उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है. वर्तमान में नामांकन 440 बच्चों का है. वर्ष 2018 में इस स्कूल में करीब 280 बच्चे थे .लेकिन जैसे-जैसे स्कूल में सुविधाएं बढ़ी तो बच्चों का नामांकन बढ़ता जा रहा है.अब हालात यह है. कि बच्चे भी यहां मन लगाकर पढ़ते हैं. उनको सीखने के लिए सारी चीजें उपलब्ध है. विगत 3 साल से दसवीं और बारहवीं का रिजल्ट भी शत-प्रतिशत जा रहा है.
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