Alwar: अलवर में पानी की मांग को लेकर अब घमसान शुरू हो गया है. एक तरफ जहां पानी की मांग को लेकर अलवर शहर विधायक मिनी सचिवालय में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठ गए. वहीं कांग्रेस नेता कमलेश सैनी के नेतृत्व में मिनी सचिवालय के सामने रास्ता जाम कर दिया गया. इसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया. अधिकारी मौके पहुंचे और समझाइश के प्रयास किए. विधायक ने अलवर के कांग्रेस नेता भंवर जितेंद्र सिंह और राजस्थान सरकार के मंत्री टीका राम जूली पर अलवर शहर की पेयजल योजनाओं में अड़ंगा लगाने का आरोप लगाया है.  


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अलवर में पेयजल संकट- संजय शर्मा


शहर विधायक संजय शर्मा मिनी सचिवालय स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास विभिन्न समस्याओं को लेकर धरने पर बैठे. इस दौरान बीजेपी पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उनके साथ धरना स्थल पर मौजूद रहे. विधायक संजय शर्मा ने कहा शहर पेयजल संकट से जूझ रहा है लेकिन प्रदेश कांग्रेस सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही .विधायक संजय शर्मा ने बताया उन्होंने अपने विधायक निधि कोष से 47 वार्डो के लिए कुल राशि 4 करोड 37 लाख स्वीकृत कीए. 


यह राशि जलदाय विभाग को हस्तांतरित की जा चुकी है. लेकिन जलदाय विभाग द्वारा ऐसे ठेकेदार को ठेका दिया गया है जो केवल एक बोरिंग मशीन से कार्य कर रहा है. विधायक का कहना है मार्च तक सभी बोरिंग हो जानी थी लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया. विधायक संजय शर्मा ने आरोप लगाया कि राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री टीकाराम जूली और भंवर जितेंद्र सिंह इन योजनाओं को अमली जामा नहीं पहना देना चाहते हैं. क्योंकि टीकाराम जूली का ग्रामीण विधानसभा इलाका आता है. इसलिए वह ग्रामीण इलाके में अलवर की पेयजल योजनाओं के लिए बोरिंग या टुबेल नहीं लगवाना देना चाहते है. 


उन्होंने कहा कि सिलीसेढ़ व जयसमंद से पानी की योजना को भी जानबूझकर रोका गया .इसके अलावा बुर्जा में जो 14 बोरिंग लगाई गई थी उनमें से 12 बोरिंग सूख गई है. .दो बोरिंग ही चालू है. ऐसे में बुर्जा इलाके में मंत्री टीकाराम जूली बोरिंग नहीं लगवाना देना चाहते हैं. इसी तरह उन्होंने आरोप लगाया कि जलदाय विभाग के अधिकारी भी उनका फोन नहीं उठाते हैं और ना ही कोई रिप्लाई करते है.


उन्होंने यह आरोप लगाया कि 47 बोरिंग फरवरी में स्वीकृत होने के बावजूद भी आज तक उन पर पूरा काम नहीं हुआ है और 47 बोरिंग के लिए एक ही मशीन काम कर रही है .बुर्जा में पंप में भी काम नहीं होने देना चाहते उन्होंने यह भी बताया कि उनके फंड के 5 करोड़ रुपए में से चार करोड़ 37 लाख रुपए तो पानी के लिए ही स्वीकृत किए गए हैं. उन्होंने कहा कि ईआरसीपी योजना आएगी तब आएगी. लेकिन अलवर शहर की जनता के लिए सिलीसेढ़ का पानी लाने का विकल्प अच्छा है जिस पर कार्य करना चाहिए.


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