Alwar News : अलवर शहर के अम्बेडकर नगर निवासी यश कुमार शर्मा की यूपीएससी में 196वीं रैंक है. यश शर्मा के मुताबिक उन्होनें दिल्ली में भी रहकर पढ़ाई की और और घर में भी रहकर पढ़ाई कि लेकिन उन्हे कोई ज्यादा फर्क महसूस नहीं हुआ. 


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यश ने बताया कि मेरे छोटे भाई का भी  मेरे पढ़ाई में बहुत सहयोग रहा. उन्होंने बताया कि यूपीएससी के भी एग्जाम सब दूसरे एग्जाम की तरह ही होते हैं जिसमें लिखित परीक्षा होती है, लेकिन सोशल मीडिया पर जिस तरीके से इसकी तैयारियों को लेकर दिखाया जाता है, वैसा कुछ नहीं है.


यश शर्मा ने कहा कि कई यूट्यूब चैनल पर आपको तैयारी लाइक मसाला मिल सकता है. उन्होंने बताया कि उन्होंने पहले ही ये संकल्प कर लिया था कि मुझे इसी नौकरी में जाना है और उसी संकल्प के साथ  पूरी पढ़ाई की इसलिए आईबी में भी नहीं गया. 


यश बताते हैं कि जब मैं पढ़ता था उसी दौरान मेरे दोस्तों के बीच यूपीएससी की पढ़ाई को लेकर चर्चा होती थी. उसी दौरान मैंने संकल्प लिया था कि मुझे इसी फील्ड में जाना है और 4 साल की मेहनत के बाद आज आशा के अनुकूल परिणाम आया है. 


यश शर्मा ने बताया कि 2019 में कॉलेज पास आउट करने के बाद मैंने यूपीएससी की तैयारी की. यश के पिता लोकेश कुमार शर्मा, अलवर में रीडर ग्रेड प्रथम एडीजे नंबर 2 में कार्यरत हैं.


यश की मां दीपा शर्मा राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल में सरकारी अध्यापक है. पिता लोकेश शर्मा ने बताया कि यश स्कूल से टॉपर रहा है. अलवर में सेंट एंसलम्स स्कूल से पढ़ाई की है. दो साल पहले आईबी में सिलेक्शन हो गया था, लेकिन ज्वाइन नहीं किया. 


पिता लोकेश शर्मा ने बताया कि यश का ये तीसरा प्रयास था. पहले प्रयास में प्री भी क्लियर नहीं हुआ था. दूसरे प्रयास में मेन के बाद इंटरव्यू तक पहुंचे. अब तीसरे प्रयास में सफलता मिली और बहुत अच्छी रैंक देश में मिली है. 


पिता लोकेश शर्मा ने बताया कि 4 साल की मेहनत का परिणाम है और बेटे ने जो अचीवमेंट हासिल किया है उससे पूरे परिवार में खुशी है. यश हमेशा से पूरी तरह कॉन्फिडेंट था कि इस बार अच्छी रैंक बनेगी. उन्होंने बताया कि मैं कोर्ट में था. जब मेरी पत्नी का फोन आया और और बच्चों की ऐसी उपलब्धि पर हर मां-बाप को गर्व होना चाहिए.


यूपीएससी ऑल इंडिया में 196 रेंक हासिल करने वाले यश कुमार शर्मा के मुताबिक प्रशासनिक सेवा में किसी को जाना है तो, चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा .ये सर्विस ही ऐसी है. जिसमें चुनौतियों का सामना करने की शक्ति नहीं है, उसे भारतीय प्रशासनिक सेवा में नहीं जाना चाहिए. 


यश ने ये जबाव नेताओं के आगे ब्यूरोक्रेसी के दबाव के सवाल पर दिया. उन्होंने कहा कि कानून के दायरे में रहकर सामंजस्य बैठाना जरूरी होता है.उन्होंने कहा कि नेताओं और ब्यूरोक्रेसी के बीच समन्वय जरूरी है. ऐसे में कानून के दायरे में आराम से चुनौतियों का सामना किया जा सकता है.


यश शर्मा कहते हैं कि अगर कोई दृढ़ संकल्प कर लें तो उसे अपनी मंजिल तक जाने में कोई नहीं रोक सकता . यश की कामयाबी के बाद से घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है और घर में खुशी का माहौल है. हालांकि यश कुमार शर्मा को इतनी कम रैंक आने की उम्मीद नहीं थी वो इससे अच्छा उम्मीद कर रहे थे .लेकिन उन्होंने इस रैंक को भी आशा के अनुकूल बताया.