Mundawar : गुजरात से दिल्ली के लिए भीम रूदन रैली को नेशनल हाईवे संख्या 48 पर हरियाणा सीमा पर बेरिकेट्स लगाकर रोक दिया गया. जिससे दिल्ली आने और जाने वाले वाहनों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा. भीम रूदन राष्ट्रीय रैली अहमदाबाद से शुरू होकर सांचौर , गुडामालानी,सिणधरी ,जयपुर वाया कोटपूतली नेशनल हाईवे संख्या 48 पर होते हुए दिल्ली जाने के लिए निकली है. 


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एक अगस्त से अहमदाबाद से जारी यात्रा को दिल्ली जाना था, जहां अंबेडकर भवन में कार्यक्रम होना था. लेकिन हरियाणा प्रशासन ने यात्रा के लिए प्रवेश नहीं दिया. रैली से जुड़े दलित नेता का सवाल है कि आखिर दलितों से छुआछूत क्या 2047 तक खत्म हो पाएगी. साथ ही उन्होंने बुध्दा और अंबेडकर के चित्र से बना एक हजार किलो वजनी सिक्का नए संसद भवन पर लगाने की मांग की है.


जानकारी के अनुसार गुजरात के वयोवृद्ध दलित नेता नवसर्जन ट्रस्ट के संस्थापक मार्टिन मैकवान ने दलित समुदाय पर एक अद्वितीय पीतल का सिक्का विकसित किया है, जिसमें इस सवाल को उकेरा गया है कि क्या 1947 में अस्पृश्यता मुक्त भारत का सपना 2047 में सच होगा ? मैकवान ने राजस्थान में यात्रा के स्वागत सम्मान के दौरान कहा कि पूरे देश के लाखों दलितों ने नई दिल्ली में बनने वाले नए संसद भवन पर सिक्का स्थापित करने की मांग के लिए एक अभियान शुरू किया है.


भीम रुदन ( भीम का विलाप ) नामक यह यात्रा डॉ भीमराव अम्बेडकर और देश से छूआछूत को खत्म होते देखने के उनके सपने की याद में है , मैकवान जिनका संगठन लगातार दलितों के कष्टों और मुद्दों का दस्तावेजीकरण करता रहा है, सरकार से उनका कहना है कि 10 क्विंटल पीतल का सिक्का 2,450 किलोग्राम पीतल के बर्तनों को पिघलाकर बनाया गया है.


मार्टिन ने विशाल सिक्का बनवाने के लिए साढ़े छः लाख रुपये खर्च किए हैं और ये पूरी राशि डा. अम्बेडकर के समर्थकों द्वारा मार्टिन भाई को दान की गई है. सिक्के का वजन 1,000 किलोग्राम है , 2047 मिमी व्यास का है और 10 फीट खड़ा है. सिक्के में एक तरफ डा . बीआर अम्बेडकर और एक तरफ भगवान बुद्ध की भूमिस्पर्श मुद्रा की छवि है. मैकवान ने कहा कि हम इस साल आजादी के 75 साल भले ही मना रहे हैं, लेकिन अस्पृश्यता के मुद्दे पर अभी तक किसी ने ध्यान नहीं दिया है. सभी राजनीतिक दलों की सामूहिक विफलता है कि वे साढ़े सात दशक के बाद भी इस देश से अस्पृश्यता को खत्म नहीं कर पाए हैं.


रैली के हरियाणा सीमा में प्रवेश की खबर लगते ही सुबह ही हरियाणा प्रशासन सुबह से ही मुस्तैद नजर आया ,दिल्ली जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 48 के हरियाणा सीमा पर बेरिकेट्स लगाकर दिल्ली प्रवेश करने वाले वाहनों को रोक दिया गया , हालांकि रैली यहां शाम के वक्त पहुंची ,लेकिन इससे एक बार फिर किसान आंदोलन के बाद एनएच 48 पूरी तरह से अवागमन बन्द हो गया है, हालांकि रैली संचालक ने कहा 48 घण्टे में प्रवेश नही दिया तो वो वापिस गुजरात के लिए रवाना हो जाएंगे.


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