Bundi Royal Family Property Dispute: राजस्थान में बूंदी राजपरिवार की संपत्ति से जुड़े विवाद में अब एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है. अपने आपको बूंदी रियासत का राजा बताने वाले ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाड़ा ने बुधवार को अचानक आम जनता के लिए बूंदी की तारागढ़ फोर्ट और बूंदी राजपरिवार की संपत्ति को खोलने का निर्णय लिया और अपने समर्थकों के साथ तारागढ़ फोर्ट और मोती महल पहुंच गए. मामले की जानकारी मिलने पर कोतवाली पुलिस भी मौके पर पहुंची और हाड़ा समर्थकों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने. 


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ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाड़ा सहित कई समर्थक गिरफ्तार 
इस बीच महाराज वंशवर्धन सिंह और पूर्व मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह के करीबी लोग भी तारागढ़ फोर्ट पर पहुंच गए. इसके बाद पुलिस और लोगों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई. पुलिस ने करीब चार घंटे तक का हाड़ा समर्थकों को समझाने का प्रयास किया. मामला नहीं सुलझने पर पुलिस ने ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाड़ा सहित उनके आधा दर्जन समर्थकों को हिरासत में ले लिया, जिसमें भंवर त्रिभुवन सिंह, अनुराग, कौशल शामिल हैं. वहीं, पुलिस ने दो समर्थक दुर्ग सिंह और डालूराम के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया है. 


आम जनता के लिए खोला जाए बूंदी की तारागढ़ फोर्ट  
इस मामले में ब्रिगेडियर भूपेश सिंह हाड़ा ने कहा कि बूंदी राजपरिवार की संपत्ति पर अलवर के पूर्व मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह का कोई अधिकार नहीं है. वे जबरदस्ती एकाधिकार करके बैठे हुए हैं और फर्जी संस्थान के नाम पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बूंदी की जनता को ठगा जा रहा है. इस दौरान हाड़ा ने गढ़ पैलेस पर लगे कुलदेवी आशापुरा माता जी ट्रस्ट के बोर्ड आदि के स्थान पर हाड़ौती फाउंडेशन, बूंदी लिखा हुआ अपने बोर्ड लगा दिए. वहीं, एक पोस्टर पर लिखा था  TRESSPASSERS WILL BE SHOT SURVIVORS WILL BE SHOT AGAIN जो चर्चा का विषय बना हुआ है. 


हाईकोर्ट ने भंवर जितेंद्र सिंह की याचिका की थी खारिज 
बता दें कि पिछले दिनों राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री भंवर जितेंद्र सिंह सहित अन्य के खिलाफ बूंदी राजघराने की संपत्तियों के धोखाधड़ी मामले में ट्रायल कोर्ट के आदेशों में दखल से इनकार कर दिया था. साथ ही बूंदी की एडीजे कोर्ट के 25 मई 2023 व सीजेएम बूंदी के 18 नवंबर 2021 के आदेश की पुष्टि करते हुए कहा था कि निगरानी न्यायालय व ट्रायल कोर्ट ने विस्तृत व कारण सहित आदेश दिया है, जिसमें उन्हें सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दी गई शक्तियों के तहत किसी भी तरह का हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है. जस्टिस अनिल कुमार उपमन ने यह निर्देश भंवर जितेन्द्र सिंह की याचिका खारिज करते हुए दिए थे.


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