अलवर: दशहरा (विजयादशमी व आयुध-पूजा) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है. दशहरा वर्ष की तीन अत्यन्त शुभ तिथियों में से एक है, अन्य दो हैं चैत्र शुक्ल की एवं कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा.प्राचीन काल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे.दशहरा अथवा विजयदशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है.


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राजस्थान के अलवर में 75 फुट ऊंचे रावण ,65 फीट के कुंभकरण और 55 फीट के मेघनाथ के पुतलो का दहन हुआ. इस बार प्रदेश में आचार संहिता लगने के कारण दशहरे के कार्यक्रम से राजनीतिक नेता दूर रहे. आज के कार्यक्रम में अलवर जिला न्यायाधीश हरेंद्र सिंह विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद रहे उन्होंने कहा मन की बुराइयों को दूर करें. और अध्यात्म के माध्यम से प्रभु का स्मरण अवश्य करें. 


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पुराषारथी समाज के अध्यक्ष कुलदीप कालरा ने बताया सभी के सहयोग से अलवर शहर में सीताराम जी की सवारी निकली हे जगह-जगह भगवान श्री राम का स्वागत हुआ. आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के स्वरूप धारण किए श्री राम परिवार रहा. 


डिजिटल माध्यम से पुतलों का दहन किया गया.
रावण दहन से पहले भगवान राम व रावण की सेना का आपस में युद्ध हुआ. इस दौरान जमकर आतिशबाजी हुई. पहली बार डिजिटल तरह से रावण का दहन किया गया.कार्यक्रम के दौरान हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे. रावण के पुतले में इस बार कई तरह के बदलाव किए गए. हंसते हुए रावण, मेघनाथ व कुंभकरण के पुतलों का दहन हुआ. रावण दहन कार्यक्रम में प्रदूषण फ्री ग्रीन पटाखे काम में लिए गए. भगवान राम के जयकारे सुनाई दिए. तो पुरुषार्थ समिति की तरफ से शोभायात्रा निकाली गई. अलवर में आजादी से पहले से पुरुषार्थ समाज रावण दहन कार्यक्रम कर रहा है.


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