Alwar News : हमारे समाज में संपन्न लोगों में भी आज भी वहीं सोच हैं, कि जब तक बेटा नहीं होता, तब तक वंश पूरा नहीं होता. लेकिन राजस्थान के अलवर में रहने वाले मजदूर परिवार ने इस सोच पर लात मारते हुए, अपनी बेटी को बेटे की तरह पाला. और बेटी नेहा ने NEET में शानदार रैंक हासिल की.


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पिता ने दूध बेचकर और मनरेगा में मजदूरी कर, बेटी नेहा के सपनों को उड़ान दी. नेहा बचपन से डॉक्टर बनना चाहती थी. जिसके लिए वो खूब मेहनत भी कर रही थी. अलवर के मंडावर के चांदपुर गांव की नेहा बचपन से पढ़ाई में अच्छी रही.


10वीं नवोदय विद्यालय से करने के बाद नेहा 12वीं के लिये सीकर गयी और नीट की तैयारी की. नेहा को ऑल इंडिया में 3745 रैंक मिली है. इससे पहले उसकी रैंक 27000 आई थी. नेहा की एक और बहन है जिसका नाम नीतू है. नीतू भी अपनी दीदी के नक्शेकदम पर है.


पिता विक्रम सिंह ने बताया कि उनके पास कुछ मवेशी है,जिनका दूध वो बेचते हैं और वक्त वक्त पर मनरेगा में मजदूरी कर घर की गुजर बसर हो जाती है. रिश्तेदार परिवार में बेटा नहीं होने के तांने देते थे, लेकिन हमने कभी बेटा बेटी में फर्क नहीं किया और बेटियों को बेटे जैसा पढ़ाया. 


पिता विक्रम सिंह ने बताया कि जब नेहा 10वीं में थी तो बताया था कि वो डॉक्टर बनना चाहती है. अब आगे की पढ़ाई के लिए पैसे और अच्छी कोचिंग की जरूरत थी, तो मैने जी तोड़ मेहनत की और बेटी को पढ़ने के लिए सीकर भेज दिया.


अलवर की बेटी नेहा ने पिता और परिवार का मान रखते हुए, सारे संघर्षों को पार करते हुए, सफलता हासिल की. जिससे उसके पिता और परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं है. और घर पर उन्ही रिश्तेदारों का बधाई देने के लिए तांता लगा है, जो बेटा नहीं होने पर ताने मारते थे.


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