किसानों को लागत से भी कम मिल रहे बाजरे की फसल के दाम, रामपाल जाट ने सरकार से की ये मांग
Rampal Jat: किसान महापंचायत राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने सरकार से मांग की है कि किसानों को लागत से भी कम बाजरे की फसल के दाम मिल रहे है. लिहाजा ऐसे में फसल की खरीद की मांग की है.
Rampal Jat: किसान महापंचायत राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट अपने एक दिवसीय दौरे पर बानसूर पहुंचे. जहां बानसूर के कृषि उपज मंडी में किसानों के साथ बैठक की. वहीे किसानों ने अपनी समस्याएं राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट को बताई किसानों ने बताया कि सरकार बाजरे की खरीद नहीं कर रही है. इसको लेकर अनाज मंडी में किसानों को पिछले साल की अपेक्षा कम भाव मिल रहा है. पिछले साल बाजरे के दाम जहां 1800-2000 रू अनाज मंडियों में बिका लेकिन इस बार किसानों को पिछले साल की अपेक्षा बाजरे के भाव 1600 से से 1800 रू मिल रहा है.
वहीं बाजरे के बीज प्रति किलो के दाम भी किसानों ने 350 से लेकर 750 रू के भाव में खरीदा लेकिन किसानों को उनका समर्थन मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है इसको लेकर किसानों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट को ज्ञापन सौंपा. राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि भारत सरकार और राजस्थान सरकार ने बाजरे के भाव का उत्पादन खर्च निकाला तो एक क्विंटल का 1640 रू माना है. जितना किसान की जेब से खर्च हुआ उतना भी किसान को नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा पिछले 10 साल से किसी भी सरकार ने बाजरा खरीदा ही नहीं.
राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने सरकार से मांग की है कि वह बाजरा खरीद करें. जिससे कि सरकार ने जो बाजरे के भाव 2350 रू तय किए हैं वो भाव किसानों को मिले. न्यूनतम समर्थन मूल्य से ही शुरू होगी मंडियों में निलामी बोली सरकार इसको लागू करे. इससे कम भाव से कोई बाजरा नहीं खरीदेगा. केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार से मांग की है कि किसानों के बाजरे का क्रय विक्रय 2350 रू से कम कोई नहीं खरीदेगा तो किसानों को फसलों के अच्छे दाम मिल सकेंगे.
उन्होंने कहा कि किसानों के साथ मिलकर एक ही नारा "खेत को पानी,फसल को दाम का नारा दिया है". राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि एक तरफ तो सरकार के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है लेकिन किसानों के लिए यह कैसा अमृत महोत्सव जहां किसानों को उनकी लागत से भी कम दाम मिल रहे हैं इसलिए सरकार से किसानों की फसलों को बाजरे की फसल की खरीद की मांग की है.
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