Alwar: अलवर जिले में सीएचसी और पीएचसी में जरूरी सुविधाओं का अभाव होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा हैं. जिले में 42 सीएचसी व 130 पीएचसी हैं लेकिन  यहां के हालातों की अगर बात करें तो अधिकांश स्थानों पर मरीजों को लाभ नहीं मिल पा रहा है. यहां ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टर्स द्वारा मरीजों को बाहर की दवा लिख रहें हैं, तो कहीं मरीजों को जांच के लिए बाहर भटकना पड़ रहा हैं. कई सेंटर्स पर सिजेरियन प्रसव की सुविधा नहीं होने से प्रसूताओं को अलवर रेफर कर दिया जाता हैं, ऐसे में मुख्यालय तक आने में जच्चा बच्चा दोनों की जान को खतरा बना रहता हैं जिसके चलते नॉर्मल डिलेवरी में स्टाफ लोगों के घर जाकर अलग से सुविधा शुल्क लेकर घरों में ही डिलेवरी कराते हैं और अगर डिलेवरी सरकारी अस्पताल में हो जाये तो प्रसूताओं को छोड़ने की जिम्मेदारी 104 व 108 एम्बुलेंस की होती हैं, लेकिन उनसे पैसे लिए जाने की शिकायतें सामने आती रहती हैं. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यही हालात राजगढ़ ,नीमराना , तिजारा , भिवाडी और बानसूर के भी हैं जहां गायनक्लोजिस्ट की कमी हैं, यहां से सिजेरियन केस अलवर रेफर कर दिए जाते हैं, जिससे अलवर मुख्यालय पर मरीजों का भार बढ़ने से फिर यहां से भी मरीजों को रेफर करने की स्थिति आ जाती हैं. अगर गोविंदगढ़ सीएचसी की बात करें तो यहां सुविधाओं के नाम पर हाल खराब हैं, चारों तरफ गंदगी का आलम बना हुआ है साथ ही यहां रोजाना की ओपीडी करीब 4 सौ के आसपास है, यहां भी लोगो को जांच व दवाओं के लिए बाहर का रुख करना पड़ता हैं. दरअसल सारा खेल डॉक्टर्स की कमीशनबाजी से जुड़ा हैं, यहां सीएचसी में 30 पलंग हैं, जिनकी हालत भी दयनीय बनी हुई हैं, स्थानीय विधायक साफिया खान ने कई बार इसे 50 बैड का करने का आश्वासन दिया लेकिन कोई बात आगे नहीं बढ़ी.


 


Reporter: Jugal Kishor Gandhi


यह भी पढे़ं- राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाली विधायक शोभारानी कुशवाहा पर BJP का एक और एक्शन


अपने जिले की खबरों के लिए यहां क्लिक करें.