पैतृक गांव ऊजौली पहुंचा शहीद हवलदार परमानंद यादव का पार्थिव शरीर, उमड़ी भीड़
भारतीय सेना के 13 और मठ यूनिट कैंट हिसार में तैनात कोटकासिम क्षेत्र के उजोली गांव के हवलदार परमानंद यादव की गुरुवार रात ड्यूटी करते समय दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई, जिन की पार्थिव देह शुक्रवार दोपहर उनके पैतृक गांव उजोली लाई गई.
Kishangarh bas: भारतीय सेना के 13 और मठ यूनिट कैंट हिसार में तैनात कोटकासिम क्षेत्र के उजोली गांव के हवलदार परमानंद यादव की गुरुवार रात ड्यूटी करते समय दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई, जिन की पार्थिव देह शुक्रवार दोपहर उनके पैतृक गांव उजोली लाई गई. वहां पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया, उनके बड़े बेटे तनुज ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी.
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कोटकासिम क्षेत्र के उजोली गांव के रहने वाले हवलदार परमानंद यादव का ड्यूटी के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया, शहीद हवलदार परमानंद की पार्थिव देह शुक्रवार को उनके पैतृक गांव कोटकासिम के उजोली में लाई गई, जहां पर उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. 38 वर्षीय हवलदार परमानंद यादव भारतीय सेना की 13 आर्मड यूनिट हिसार कैंट में कार्यरत थे, हवलदार परमानंद यादव मेन क्यूआरटी टीम में अपनी ड्यूटी दे रहे थे, तभी उन को दिल का दौरा पड़ा और मौके पर ही उनकी मौत हो गई.
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शहीद हवलदार परमानंद यादव की पोस्टिंग 22 मार्च 2006 में पटियाला में हुई थी, उसके बाद 2008 में बबीना झांसी में उनका ट्रांसफर हुआ और उसके बाद बबीना से 2015 में लालगढ़ जाटान श्री गंगानगर में उनको ड्यूटी पर लगाया गया, सितंबर 2018 में उनकी पोस्टिंग हिसार कैंट में की गई और तभी से यहां पर भारतीय सेना में अपनी ड्यूटी दे रहे थे.
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शहीद हवलदार परमानंद यादव अपने पीछे 36 वर्षीय पत्नी रेखा देवी, 17 वर्षीय बेटा तनुज और 15 वर्षीय बेटा मयंक को छोड़ गए हैं. शुक्रवार को दोपहर बाद शहीद हवलदार परमानंद यादव की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव पहुंची तो भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे गुंजायमान हो उठे. इधर शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए पूरा प्रशासनिक लवाजमा मौके पर मौजूद रहा. विधायक दीपचंद खैरिया, प्रधान विनोद कुमारी सांगवान सहित अनेक जनप्रतिनिधि व बड़ी संख्या में ग्रामीण लोग उपस्थित रहे. अंबाला कैंट से उनको सम्मान सहित उनके पैतृक गांव लाने के लिए बिसलदार पवन कुमार, हवलदार कर्मवीर सिंह और सिपाही विक्रांत उनके साथ आए, उनके साथियों ने उन्हें हवा में बंदूक से फायर कर उन्हें सलामी दी और उनके बड़े बेटे तनुज ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी.
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