दुनिया में कम हो रही गिद्धों की संख्या, तो सरिस्का में बढ़ रहा गिद्धों का कुनबा
पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि गिद्धों की संख्या में कमी का कारण प्रदूषण, घटते जंगल, विषैले पदार्थ है. जिनके चलते इनका जीवन प्रभावित हुआ है. धीरे-धीरे गिद्द प्रजाति कम होती जा रही है, लेकिन अछि बात ये है सरिस्का के जंगलों में गिद्दों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है.
Alwar : पक्षी विशेषज्ञों का मानना है कि गिद्धों की संख्या में कमी का कारण प्रदूषण, घटते जंगल, विषैले पदार्थ है. जिनके चलते इनका जीवन प्रभावित हुआ है. धीरे-धीरे गिद्द प्रजाति कम होती जा रही है, लेकिन अछि बात ये है सरिस्का के जंगलों में गिद्दों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है.
जानकार बताते है पर्यावरण हितैषी गिद्ध धरती पर जहां संक्रमण को रोकते हैं, वहीं स्वच्छता में हमारे सहयोगी रहे हैं, इसलिए इन्हें विलुप्त होने से बचाना हमारी जिम्मेदारी है. सरकारों की तरफ से विलुप्त होते गिद्दों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी लगातार गिद्धों की संख्या में कमी आ रही है.
लेकिन सरिस्का में गिद्धों का कुनबा बढ़ रहा है यह राहत की बात है. सरिस्का के जंगल करणा का बास क्षेत्र में गिद्धों का एक झुंड भोजन करता हुआ नजर आया. भैंस के शिकार के बाद गिद्द उसका भोजन कर रहे थे. भर्तहरि के आसपास की पहाड़ियों और सरिस्का के जंगल के मैदानी क्षेत्र में गिद्धों के अलग-अलग झुंड नज़र आते हैं.
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सरिस्का में लंबी चोंच वाला गिद्ध सबसे ज्यादा पाये जाते है. गिद्धों के सरिस्का में कई रेस्टिंग प्वाइंट हैं. इनमें गोपी जोहरा, देवरा चौकी, टहला के मानसरोवर बांध, पाण्डूपोल, काली पहाड़ी के पास खड़ी चट्टानें शामिल हैं. जहां देश मे लगातार गिद्धों की संख्या तेजी से कम हो रही है जिसपर गिद्धों का कुनबा बचाने में सरकारे भी प्रयास कर रही हैं.
जबकि सरिस्का में लुप्तप्राय हो चुके गिद्धों का कुनबा तेजी से बढ़ा है. सरिस्का जंगल के जोहड़ और पोखरों पर गिद्ध बैठे दिखाई देते हैं. चार साल पहले यहां करीब 50 गिद्ध होने का अनुमान था. फिलहाल सरिस्का में गिद्धों की अनुमानित संख्या 500 के पार पहुंच चुकी है. इसमें कई प्रवासी गिद्ध भी शामिल हैं. जबकि 5 स्थानीय प्रजातियों के गिद्ध शामिल हैं.
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