विरोध: व्यापारियों और कारोबारियों ने की अलवर जिले को एनसीआर से बाहर करने की मांग
Alwar News: व्यापारी और कारोबारी अलवर जिले को एनसीआर से बाहर करने की मांग करने लगे हैं. व्यापारियों ने कहा कि अलवर में प्रदूषण का स्तर कम रहता है. लेकिन उसके बाद भी अलवर एनसीआर में आता है. इसलिए दिल्ली की गाइडलाइन अलवर पर लागू की जाती हैं.
Alwar: व्यापारी और कारोबारी अलवर जिले को एनसीआर से बाहर करने की मांग करने लगे हैं. व्यापारियों ने कहा कि अलवर में प्रदूषण का स्तर कम रहता है. लेकिन उसके बाद भी अलवर एनसीआर में आता है. इसलिए दिल्ली की गाइडलाइन अलवर पर लागू की जाती हैं.
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अलवर दिल्ली से 150 किलोमीटर दूर है. ऐसे में सरकार को अलवर को एनसीआर से बाहर कर देना चाहिए. दिल्ली में प्रदूषण का स्तर खतरनाक से भी ज्यादा खराब स्थिति में पहुंच गया है. ऐसे में चौथे चरण की गाइडलाइन लागू कर दी गई हैं. अलवर जिले से छोटे बड़े 10 औद्योगिक क्षेत्रों में 20 हजार से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं.
इनमें करीब 5 लाख श्रमिक काम करते हैं. जिसमे 5 दिन काम 2 दिन औद्योगिक इकाई बंद हैं. ऐसे में श्रमिकों में कटौती की गई है. इसके अलावा पूरे जिले में सरकारी व निजी छोटे बड़े 5000 से ज्यादा निर्माण कार्य चल रहे हैं. सभी जगह पर 50 हजार से ज्यादा लेबर काम कर रहे हैं. जो अब बेरोजगार हो चुके हैं. साथ ही ईंट-भट्ठों पर काम करने वाले 10 हजार श्रमिक भी बेरोजगार हैं. खान क्रेशर पर काम करने वाले चालक ऑपरेटर, श्रमिक, मैकेनिक सहित 22 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं.
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अलवर जिले में 400 के करीब खानें हैं. इसके अलावा करीब 50 से ज्यादा क्रेशर हैं. प्रत्येक खान में 15 से 20 श्रमिक काम करते हैं. डंपर, ट्रेलर, बड़े ट्रकों पर बड़ी संख्या में श्रमिक काम करते हैं. डीजल जनरेटर, निर्माण कार्य सहित अन्य कई गतिविधियां बन्द हैं. जो प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रही हैं. सभी लोगों से अलवर की अर्थव्यवस्था चलती है. कामकाज बंद होने के कारण अलवर जिले की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव पड़ेगा. खान विभाग से राज्य सरकार को हर माह 300 करोड़ का राजस्व, वाणिज्य कर विभाग से 100 करोड़, आबकारी व परिवहन विभाग से 100 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है.
रजिस्ट्री, यूआईटी, नगर परिषद सहित अन्य विभागों से भी करोड़ों रुपये का राजस्व प्रदेश सरकार को मिलता है. कामकाज बंद होने के कारण लोग परेशान हो रहे है. और सरकार को मिलने वाले राजस्व में भी कमी आएगी. अलवर सहित पूरे एनसीआर में 3 से 4 महीने तक इसी तरह के हालात रहते हैं. बेरोजगारी के चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है पैसा नहीं आने के कारण बाजार मंदा रहता है. लोग खरीदारी करने के लिए बाजार में नहीं पहुंचते. ऐसे में व्यापारियों ने खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया है.
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