Khairthal News: खैरथल जिला मुख्यालय के वार्ड 19 में एक ऐसा सरकारी विद्यालय है, जिसमें खुद अध्यापक अपने घर से बच्चों के लिए पोषाहार बनाकर लाते हैं. राज्य सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने की नित नई घोषणा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है उससे रूबरू होने की जहमत न तो सरकारें करती हैं और न ही एयर कंडीशनर कमरों में बैठने वाले अधिकारियों को फूर्सत है. 


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स्कूल में सुविधा देना भूली राजस्थान सरकार 
हम बात कर रहे हैं खैरथल जिले के वार्ड 19 के ठेकड़ा इलाके में स्थित एक प्राइमरी स्कूल की, जिसमें प्राइमरी स्कूल तो खोला गया लेकिन सरकार उसमें सुविधा देना भूल गई. शिक्षा विभाग ने करीब एक साल पहले किराये के मकान में स्कूल संचालित कर दिया और उसमें एक अध्यापक की नियुक्ति भी कर दी थी, लेकिन संसाधन के नाम पर स्कूल को कुछ नहीं मिला. यह समस्या एक वर्ष बीत जाने के बाद भी बरकरार है. रिपोर्ट्स की मानें, तो स्कूल में मात्र दस बच्चों का नामांकन है.


खुद के घर से फर्श लाते हैं शिक्षक 
बच्चों को बैठाने के लिए अध्यापक अपने खुद के खर्चे से एक फर्श लेकर आते हैं, जिस पर बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं. ड्यूटी दे रहे शिक्षक खुद टूटी हुई कुर्सी पर बैठकर छात्रों को पढ़ाते हैं. इस पूरे मामले पर शिक्षक मोहन कृष्ण मिश्रा ने बताया कि सरकार व विभाग द्वारा कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई है. स्कूल में रिकॉर्ड रखने के लिए एक अलमारी, बच्चों को गर्मी से बचाने के लिए एक पंखा, पानी के लिए कैम्पर आदि सामान की व्यवस्था स्वयं के घर से लाकर करते है. 


मजबूरी में अपना नाम कटवा रहे हैं बच्चे 
मोहन कृष्ण मिश्रा ने आगे बताया की स्कूल में सिलेंडर व चूल्हा नहीं होने की वजह से अपने घर से ही पोषाहार बनाकर लाना पड़ता है. कई बार अधिकारियों को बोलने के बाद भी न तो कोई भवन मिला और न ही कोई संसाधन. अब तो हालत ये हो चले हैं कि बच्चे मजबूरी में अपना नाम कटवाकर प्राइवेट स्कूल में जा रहे है. 


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