क्या जयपुर की 3 सीटों पर हो गया `खेला`! त्रिकोणीय मुकाबले में बिगड़े बीजेपी-कांग्रेस के समीकरण
जयपुर की राजधानी पर्यटन नगरी आमेर और जमवारामगढ व बस्सी में इस विधानसभा चुनाव में विधायक का ताज किसके सिर होगा. आमेर सीट पर लगातार 15 साल कांग्रेस का कब्जा रहा जिसे भाजपा ने 2018 में विजय का सिलसिला तोडा था. जमवारामगढ़ में 1998, 2003, 2008 व 2013 के त्रिकोणीय मुक़ाबला रहा था.
Jaipur Election 2023: जयपुर की राजधानी पर्यटन नगरी आमेर और जमवारामगढ व बस्सी में इस विधानसभा चुनाव में विधायक का ताज किसके सिर होगा. आमेर सीट पर लगातार 15 साल कांग्रेस का कब्जा रहा जिसे भाजपा ने 2018 में विजय का सिलसिला तोडा था. जमवारामगढ़ में 1998, 2003, 2008 व 2013 के त्रिकोणीय मुक़ाबला रहा था. वर्ष 2018 में भाजपा व कांग्रेस में सीधा मुकाबला रहा. बस्सी विधानसभा सीट निर्दलीयों के लिए स्वर्ग रही है,भाजपा-कांग्रेस को बुरी तरह हार झेलनी पडी. अब चर्चा यही कि क्या बस्सी में अबकी बार ट्रेड बदलेगा. ,इन विधानसभाओं से कौन प्रत्याशी विधानसभा पहुंचेगा.
आमेर सीट का हाल
आमेर सीट पर वर्ष 1998, 2003 और 2008 में लगातार तीन बार कांग्रेस का कब्जा रहा. , 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सहदेव शर्मा ने जीत हासिल की तो वहीं 2003 में लालचंद कटारिया ने जीत हासिल की थी. ,वहीं 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गंगासहाय शर्मा ने आमेर सीट से विजय रहे थे. , वर्ष 2013 में राजपा के प्रत्याशी नवीन पिलानिया ने जीत हासिल की थी. फिर 2018 में भाजपा के सतीश पूनिया ने भाजपा के खाते में सीट लाने में सफलता प्राप्त की थी. पर्यटन के लिहाज से आमेर सीट राजस्थान की महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है. वर्ष 2018 में भाजपा के सतीश पूनिया ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रशांत शर्मा को 13276 वोटो से हराया था. , सतीश पूनिया को 93132 वोट मिले थे जबकि प्रशांत शर्मा को 79856 वोट मिले थे. वर्तमान में आमेर से सतीश पूनिया विधायक हैं जो कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान उपनेता प्रतिपक्ष हैं. इस बार भी कांग्रेस के प्रशांत शर्मा और भाजपा के सतीश पूनिया के बीच सीधी टक्कर किसके सिर विधायक की ताजपोशी होगी. आमेर सीट पर इस बार 3.13 प्रतिशत मतदान कम हुआ है.
जमवारामगढ सीट का हाल
जमवारामगढ विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 1998, 2003, 2008 और 2013 के त्रिकोणीय मुक़ाबला में कांग्रेस ने तीन बार जीत हासिल की थी. , वर्ष 2018 में भाजपा व कांग्रेस में सीधा मुकाबला में कांग्रेस के गोपाल मीना ने जीत हासिल की थी. गोपाल मीना को चुनाव में 89,165 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के महेंद्रपाल मीना को 67,481 वोट मिले थे. जीत का अंतर 21,684 वोटों का रहा था. वर्ष 2013 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने गोपाल मीना का टिकट काटकर शंकरलाल मीना पर दाव खेला. वहीं भाजपा ने जगदीश नारायण मीना पर दाव खेला तो वहीं डॉ.किरोडीलाल मीना की पार्टी राजपा भी चुनाव मैदान प्रत्याशी मैदान पर उतारा. इस त्रिकोणिय मुकाबल में भाजपा के जगदीश मीना विजयी रहे थे. यानी 15 साल बाद भाजपा ने जमवारामगढ विधानसभा से जीत हासिल की थी. इस बार भी जमवारामगढ में त्रिकोणिय मुकाबला में कौन जीत हासिल करेगा इस कसमकस में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया. ,इस बार जमवारामगढ—1.75 प्रतिशत मतदान गिरा है.
बस्सी विधानसभा का हाल
राजधानी जयपुर की बस्सी विधानसभा ऐसी सीट है जो कि बहुत ही रोचक और अद्भूत है. राष्ट्रीय पार्टी भाजपा—कांग्रेस के नेताओं की नजर होने से महत्वपूर्ण बन जाती है. बस्सी विधानसभा सीट निर्दलीयों के लिए शुभ मानी गई है. क्योंकि यहां की सीट पर कांग्रेस—भाजपा के प्रत्याशियों को बुरी तरह से हार का मुंह देखना पडा है. क्या इस बार बस्सी सीट का निर्दलीय जीत का सिलसिला रहेगा या जीत का ट्रेड बदलेगा. बस्सी सीट पर पिछले तीन चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशी ही चुनाव जीत कर आ रहे है. , 15 साल से भाजपा—कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टिया जीत हासिल नहीं कर पाई है,,,इस बार कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी जीत हासिल कर सकेंगे या फिर से निर्दलीय पर जनता दाव खेलेगी. इस बार बस्सी विधानसभा में 1.84 प्रतिशत मतदान बढा है.
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