हनुमान बेनीवाल ने खींवसर से अपने भाई नारायण का टिकट क्यों काटा, ये है बड़ी वजह
राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे-वैसे ही मुकाबला और दिलचस्प होता जा रहा है. राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस के इतर अन्य दलों का प्रभाव भी खास देखने को मिल रहा है. जिसमें सबसे प्रमुख दल हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी है.
Narayan - Hanuman Beniwal: राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, वैसे-वैसे ही मुकाबला और दिलचस्प होता जा रहा है. राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस के इतर अन्य दलों का प्रभाव भी खास देखने को मिल रहा है. जिसमें सबसे प्रमुख दल हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी है. इस चुनाव में हनुमान बेनीवाल एक बार फिर खुद चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, हालांकि बेनीवाल ने अपने ही भाई नारायण बेनीवाल का टिकट काट दिया. इसे लेकर भी सियासी हल्का में चर्चाएं तेज हैं.
हनुमान बेनीवाल ने क्यों काटा नारायण का टिकट
दरअसल नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल खुद खींवसर से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. इस सीट से मौजूदा वक्त में उनके भाई नारायण बेनीवाल विधायक है. नारायण बेनीवाल ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का पूरा चुनावी मैनेजमेंट देख रहे हैं और हनुमान बेनीवाल के बेहद विश्वस्त भी है. आरएलपी चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर प्रदेश की 200 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. लिहाजा ऐसे में पर्दे के पीछे से सारे मैनेजमेंट की जिम्मेदारी नारायण बेनीवाल ही निभा रहे हैं. नारायण बेनीवाल के चुनाव लड़ने के आसार भी कम ही दिखाई दे रहे हैं.
वही आरएलपी ने अब तक कुल 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं. जहां हनुमान बेनीवाल खुद खींवसर सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं, तो वहीं उनके एक और सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज है. हालांकि वो दूसरी सीट कौनसी होगी इसे लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है.
2008 से बेनीवाल परिवार के पास खींवसर सीट
आपको बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल ने खींवसर से ही चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी लेकिन इसके बाद हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में वह नागौर सीट से चुनावी मैदान में बता एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर उतरे और जीत हासिल की हनुमान बेनीवाल के जीत के बाद खींवसर सीट खाली हो गई जिसके चलते सीट पर अक्टूबर 2019 में उपचुनाव हुए इस उप चुनाव में हनुमान बेनीवाल के भाई नारायण बेनीवाल ने जीत हासिल की। 2008 से ही यह सीट बेनीवाल परिवार के पास रही है.
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