Rajasthan: दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड़ और किरोड़ी मीणा ने दिया इस्तीफा, `बाबा` पर सस्पेंस!
राजस्थान में विधानसभा चुनाव मैं चार सांसदों ने जीत दर्ज की, अब संसद से बने इन विधायकों का नाम मुख्यमंत्री रेस में सबसे आगे चल रहा है इसी बीच विद्याधर नगर से विधायक बनी दिया कुमारी झोटवाड़ा से विधायक बने राज्यवर्धन सिंह राठौड़ सवाई माधोपुर से विधायक चुने गए किरोड़ी लाल मीणा ने अपने सांसद पद से इस्तीफ
राजस्थान में विधानसभा चुनाव मैं चार सांसदों ने जीत दर्ज की, अब संसद से बने इन विधायकों का नाम मुख्यमंत्री रेस में सबसे आगे चल रहा है इसी बीच विद्याधर नगर से विधायक बनी दिया कुमारी झोटवाड़ा से विधायक बने राज्यवर्धन सिंह राठौड़ सवाई माधोपुर से विधायक चुने गए किरोड़ी लाल मीणा ने अपने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है लेकिन बाबा बालक नाथ ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है इसके बाद अब सस्पेंस बढ़ गया है.
मुख्यमंत्री पद के दावेदार
दरअसल विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस सत्ता का मुखिया कौन होगा? इसे लेकर जयपुर से लेकर दिल्ली तक दौड़ भाग जारी है. इसी बीच दिया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और किरोड़ी लाल मीणा ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है, क्योंकि अब ये विधायक बन गए हैं. खास बात यह है कि यह तीनों विधायक मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में से भी एक है.
3 सांसद हारे विधायकी का चुनाव
विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बड़ा दांव खेलते हुए सात सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से किरोड़ी लाल मीणा, दीया कुमारी, बाबा बालक नाथ और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ चुनाव जीतने में कामयाब रहे, जबकि देवजी पटेल, नरेंद्र कुमार और भागीरथ चौधरी को हार का सामना करना पड़ा. इनमें में दीया कुमारी ने सबसे बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की. दीया कुमारी ने कांग्रेस के सीताराम अग्रवाल को तकरीबन 70,000 मतों के अंतर से शिकस्त दी, जबकि किरोड़ी लाल मीणा भी 20,000 मतों से अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी को शिकायत देने में कामयाब रहे, हालांकि राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को अपनी सीट निकालने के लिए थोड़ा संघर्ष करना पड़ा, लेकिन बाद में वो भी बड़े अंतर से जीतनें में कामयाब रहे.
इन चुनावों में जीत दर्ज करने वाले बाबा बालक नाथ, किरोड़ी लाल मीणा, दीया कुमारी और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को प्रदेश सरकार में अहम और बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. दीया कुमारी और बाबा बालक नाथ का नाम मुख्यमंत्री के रेस में भी सबसे आगे चल रहा है, लिहाजा ऐसे में अगर इन्हें मुख्यमंत्री का पद नहीं मिलता है तो केंद्रीय नेतृत्व कोई बड़ी जिम्मेदारी भी सौंप सकता है.