Neema Ka Thana Vidhansabha Seat : राजस्थान में आगामी कुछ दिनों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इन चुनावों में नवगठित जिलों का व्यापक असर देखने को मिल सकता है. इन नवगठित जिलों में एक जिला शेखावाटी का नीम का थाना भी है. नीमकाथाना विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा वक्त में कांग्रेस के सुरेश मोदी विधायक हैं. वहीं भाजपा की ओर से प्रेम सिंह बाजोर एक बार फिर चुनावी ताल ठोकते नजर आ सकते हैं.


खासियत


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नीम का थाना विधानसभा क्षेत्र के पहले चुनाव 1951 में यहां से तीन विधानसभा सीटें थी जबकि दूसरे विधानसभा चुनाव में यहां से 2 सीटे रही है. 1957 में खंडेला विधानसभा सीट नीम का थाना में मिला दिया गया. हालांकि 1962 से लेकर अब तक नीम का थाना एक ही सीट है. यहां से दो बार ज्ञानचंद, तीन बार मोहनलाल मोदी और दो-दो बार फूलचंद और प्रेम सिंह ने जीत हासिल की है.


2023 का विधानसभा चुनाव


2023 के विधानसभा चुनाव में नीम का थाना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस एक बार फिर सुरेश मोदी को ही चुनावी मैदान में उतार सकती है, सुरेश मोदी ने नीम का थाना को जिला बना कर अपना वादा पूरा किया तो वहीं बीजेपी की ओर से प्रेम सिंह बाजोर ताल ठोकते नजर आ सकते हैं. वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से महेंद्र मांड्या चुनावी तैयारी कर रहे हैं. साथ ही राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी भी इस चुनाव में अपना उम्मीदवार यहां से उतर सकती है.


जातीय समीकरण


नीम का थाना विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण के बाद करें तो यहां एसटी-एससी, ओबीसी, ओबीसी मूल, राजपूत, यादव, जाट और गुर्जरों की बहुसंख्यक आबादी है. हालांकि बनिया समाज की यहां आबादी तो कम है लेकिन उनका सियासी वर्चस्व देखने को मिलता है.


नीमकाथाना विधानसभा क्षेत्र का इतिहास


पहला विधानसभा चुनाव 1951


1951 के विधानसभा चुनाव में नीमकाथाना से 3 सीटें थी. यहां से कांग्रेस ने लादूराम, कपिल देव और गणेश को अपना उम्मीदवार बनाया तो वहीं कृषक लोक पार्टी से मोतीराम , रूड़ा और नारायण सिंह ने ताल ठोकी. इस चुनाव में राम राज्य परिषद की ओर से रूपनारायण ने भी चुनावी ताल ठोकी. इस चुनाव में कांग्रेस के लादूराम और कपिल देव की जीत हुई जबकि नीमकाथाना की तीसरी सीट से राम राज्य परिषद के रूपनारायण ने जीत हासिल की.


उपचुनाव 1956


1951 में विधानसभा चुनाव के बाद 1956 में नीमकाथाना सीट पर उपचुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से ज्ञानचंद उतरे तो वहीं निर्दलीय के तौर पर इंदिरा लाल चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में कांग्रेस के ज्ञानचंद की जीत हुई.


दूसरा विधानसभा चुनाव 1957


1957 के विधानसभा चुनाव में नीमकाथाना 2 सदस्य सीट बनी. इस चुनाव में कांग्रेस ने भी 2 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे. कांग्रेस ने जहां नारायण लाल को चुनावी मैदान में भेजा तो वहीं ज्ञानचंद भी चुनावी किस्मत आजमाने उतरे. वहीं निर्दलीय के तौर पर रामप्रताप शर्मा और भागीरथ इस चुनाव में कांग्रेस के नारायण लाल और ज्ञानचंद की जीत हुई. रामप्रताप शर्मा और भागीरथ को हार का सामना करना पड़ा.


तीसरा विधानसभा चुनाव 1962


1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से छोटू राम ने ताल ठोकी तो वहीं जन संघ की ओर से दयाल चंद चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में जनसंघ के दयाल चंद को 6,164 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस के छोटूराम 13,432 वोटों के साथ चुनाव जीतने में कामयाब हुए.


चौथा विधानसभा चुनाव 1967


1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मुक्ति लाल को टिकट दिया तो वहीं निर्दलीय के तौर पर आर कमवर चुनावी मैदान में उतरेंगे. इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार आर कमवर को 14,833 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार को 18,832 मतदाताओं का साथ मिला और उसके साथ एक बार फिर नीम का थाना विधानसभा सीट पर कांग्रेस की जीत हुई.


पांचवा विधानसभा चुनाव 1972


1972 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ की ओर से मालाराम चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर मुक्तिलाल को चुनावी मैदान में भेजा. इस चुनाव में कांग्रेस के मुक्ति लाल को 16,867 वोट मिले तो वहीं भारतीय जन संघ के मालाराम को 18,355 वोट मिले और उसके साथ ही मालाराम की चुनाव में जीत हुई.


छठ विधानसभा चुनाव 1977


1977 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी की ओर से सूर्य नारायण ने ताल ठोकी तो वहीं कांग्रेस की ओर से शिवराम सिंह चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में कांग्रेस के शिवराम सिंह को 12,122 मत मिले तो वहीं जनता पार्टी के सूर्य नारायण को 21,633 वोट मिले और उसके साथ ही इस सीट पर जनसंख्या की जीत हुई.


आठवां विधानसभा चुनाव 1980


1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भारी गुटबाजी के बीच चुनावी जंग में उतरी. इस चुनाव में कांग्रेस (आई) की ओर से मदनलाल दीवान चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं निर्दलीय के तौर पर मोहनलाल मोदी ने ताल ठोकी. इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार मोहनलाल मोदी को 13,610 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस के मदनलाल 11,666 वोट ही हासिल कर सके और उसके साथ ही मोहनलाल मोदी ने चुनाव में जीत हासिल की.


9वां विधानसभा चुनाव 1985


1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पिछले चुनाव में निर्दलीय चुनाव जीत चुके मोहनलाल मोदी को टिकट दिया जबकि भाजपा की ओर से फूलचंद चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में बीजेपी के फूलचंद को 38,126 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस के मोहनलाल मोदी को 23,027 मतदाताओं का ही साथ प्राप्त हो सका और उसके साथ ही भाजपा के फूलचंद की चुनाव में जीत हुई.


10वां विधानसभा चुनाव 1990


1990 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर से फूलचंद को ही चुनावी ताल ठोकने भेजा तो वहीं कांग्रेस की ओर से मोहनलाल मोदी ही चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में बीजेपी के फूलचंद की एक बार फिर जीत हुई और उन्हें 42,661 वोट मिले जबकि मोहनलाल 35,939 वोट ही हासिल कर सकें. 


दसवां विधानसभा चुनाव 1993


1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से मोहन लाल मोदी पर ही विश्वास जताया जबकि भाजपा ने फिर से फूलचंद को चुनावी मैदान में उतर यानी मुकाबला तीसरी बार मोहनलाल मोदी बनाम फूलचंद था. इस चुनाव में लगातार दो बार जीत हासिल करने वाले फूलचंद को 32,540 मत मिले जबकि मोहनलाल मोदी 46,745 मत हासिल करने में कामयाब हुए और उसके साथ ही मोहनलाल मोदी की वापसी हुई.



11वां विधानसभा चुनाव 1998


1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से फिर से मोहनलाल मोदी ही चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं निर्दलीय के तौर पर रमेश कुमार खंडेलवाल ने ताल ठोकी. इस चुनाव में बीजेपी ने भी फूलचंद को ही चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में कांग्रेस के मोहनलाल मोदी को 36,782 वोट मिले जबकि निर्दलीय उम्मीदवार 35,714 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे. वहीं बीजेपी के फूल चंद गुर्जर 22,932 वोट ही हासिल कर सके और वह तीसरे स्थान पर रहे.


12वां विधानसभा चुनाव 2003


2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर प्रेम सिंह पर ही दांव खेला. इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से मोहनलाल मोदी चुनावी ताल ठोकने उतरे जबकि निर्दलीय के तौर पर धर्मपाल भी किस्मत आजमाने उतरे. इस चुनाव में एक और पार्टी थी जिसने सबको चौंकाया वह थी राष्ट्रीय परिवर्तन दल. राष्ट्रीय परिवर्तन दल की ओर से रमेश चंद खंडेलवाल चुनावी मैदान में उतरे यानी मुकाबला चतुष्कोणीय हो चुका था. इस चुनाव में बीजेपी के प्रेम सिंह की जीत हुई और उन्हें 30,371 वोट मिले तो वहीं दूसरे स्थान पर रमेश चंद खंडेलवाल रहे और उन्हें 30,166 वोट मिले जबकि तीसरे स्थान पर निर्दलीय उम्मीदवार धर्मपाल और चौथे स्थान पर कांग्रेस के उम्मीदवार मोहनलाल मोदी रहे.


13वां विधानसभा चुनाव 2008


2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रमेश चंद खंडेलवाल को टिकट दिया जबकि बीजेपी की ओर से प्रेम सिंह चुनावी किस्मत आजमाने उतरे. इस चुनाव में बीजेपी का दांव विफल हुआ और कांग्रेस की जीत हुई. कांग्रेस के रमेश चंद खंडेलवाल को 64,075 वोट मिले तो वहीं प्रेम सिंह बाजोर को 41,616 वोट ही हासिल कर सके. इसके साथ ही रमेश चंद खंडेलवाल लंबे संघर्ष के बाद राजस्थान विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए.


14वां विधानसभा चुनाव 2013


2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का विश्वास प्रेम सिंह पर कायम रहा. वहीं कांग्रेस ने फिर से अपनी पिछली रणनीति पर काम किया और रमेश चंद खंडेलवाल को टिकट दिया. प्रेम सिंह मोदी लहर पर सवार थे और उनकी 69,613 वोटों के साथ जीत हुई जबकि रमेश चंद 35411 मत ही हांसिल कर सके.


15वां विधानसभा चुनाव 2018


2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी मजबूत सिपाही प्रेम सिंह बाजोर को ही टिकट दिया. कांग्रेस ने मोहनलाल मोदी के पुत्र सुरेश मोदी को टिकट दिया. वहीं बसपा से राजेश मीणा, आरएलपी से रमेश खंडेलवाल चुनावीं मैदान में आए. ऐसे में जीत के लिए चतुष्कोणीय मुकाबला बन गया. इस चुनाव में सुरेश मोदी का दांव सफल हुआ और सुरेश मोदी को 66,287 वोट मिले जबकि भाजपा के प्रेम सिंह बाजोर 53,672 वोट ही हासिल कर सके और उनकी हार हुई.


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