Parbatsar Vidhansabha Seat : वीर तेजाजी महाराज की स्मृति में भरे जाने वाले पशु मेले के लिए प्रसिद्ध परबतसर विधानसभा क्षेत्र अब कुचामन-डीडवाना जिले में आ गया है. पहले परबतसर विधानसभा क्षेत्र नागौर जिले में आता था. इस क्षेत्र में लंबे वक्त तक जेठमल बरवड का दबदबा रहा है. यहां से मौजूदा वक्त में सचिन पायलट के कट्टर समर्थक माने जाने वाले कांग्रेस से रामनिवास गावड़िया विधायक हैं.


खासियत


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

परबतसर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड जेठमल के नाम रहा है. जेठमल ने 1962 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद वह 1972, 1977 और 1980 में लगातार तीन बार जीते. वहीं 1985 में लोक दल की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले मोहनलाल के नाम भी तीन बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड है. मोहनलाल ने 1985 में लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा तो 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे और 1998 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता. वही बीजेपी के राकेश मेघवाल और मान सिंह दो-दो बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे.


2023 का विधानसभा चुनाव


2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से एक बार फिर रामनिवास गावड़िया चुनावी ताल ठोकते नजर आ सकते हैं, तो वहीं बीजेपी एक बार से मानसिंह को चुनावी रण में भेज सकती है. मानसिंह 2008 से 2018 तक लगातार दो बार परबतसर से विधायक रह चुके हैं, वहीं हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी क्षेत्र में सक्रिय नजर आ रही है. आरएलपी की ओर से प्रेमाराम चुनावी मैदान में उतर सकते हैं.


जातीय समीकरण


परबतसर विधानसभा क्षेत्र में जाट मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है, तो वहीं राजपूत और रावणा राजपूत भी अच्छी खासी संख्या में है. अनुसूचित जाति वर्ग के लिए लंबे वक्त तक सीट आरक्षित रही और यहां मेघवाल समेत अन्य एसटी जातियों का भी दबदबा है. इसके अलावा गुर्जर, मुस्लिम, माली, कुमावत, वैश्य और ब्राह्मण समाज भी प्रभाव रखता है. 2018 के विधानसभा चुनाव में गुर्जर मतदाताओं ने एकतरफा मत रामनिवास गावड़िया को दिया था. उन्हें उम्मीद थी कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री बन सकते हैं, हालांकि अब यह वर्ग नाराज बताया जा रहा है.


Rajasthan Election: नागौर की वो सीट जहां से हनुमान बेनीवाल ही नहीं उनके पिता और भाई भी जीते, 40 साल पुरानी है मिर्धा से लड़ाई


परबतसर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास


पहला विधानसभा चुनाव 1951


1951 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चंद्र दत्त ने ताल ठोक तो वहीं राम राज्य परिषद के ओर से मदन मोहन चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में एक तरफा समर्थन राम राज्य परिषद के मदन मोहन को मिला उन्हें 13,897 वोटों के साथ मतदाताओं का समर्थन प्राप्त हुआ जबकि चंद्र दत्त 40 फ़ीसदी वोट ही हासिल कर पाए. मदन मोहन परबतसर से पहले विधायक चुने गए.


उपचुनाव 1952


1952 के उपचुनाव में राम राज्य परिषद की ओर से एक बार फिर मदन मोहन चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं कांग्रेस ने चांदमल को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में कांग्रेस के रणनीति सफल हुई और 10,572 मतों से चांदमल की जीत हुई. जबकि 1951 में जीतने वाले मदन मोहन को हार का सामना करना पड़ा.


दूसरा विधानसभा चुनाव 1962


1951 के चुनाव और1952 में उप चुनाव के बाद परबतसर में अगले चुनाव 1962 में हुए.  इस चुनाव में यह सीट सामान्य वर्ग से अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गई. लिहाजा ऐसे में यहां प्रमुख दावेदारों के चेहरे बदल गए. कांग्रेस की ओर से जेठमल चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं स्वराज पार्टी ने जीवराज को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में जेठमल की 18,594 मतों से जीत हुई तो वहीं जीव राज को 10,388 मत ही हासिल हो सके.


तीसरा विधानसभा चुनाव 1967


1967 के विधानसभा चुनाव में स्वराज पार्टी की ओर से पदमाराम ने चुनावी ताल ठोकी तो वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर जेठमल पर ही दांव खेला. इस चुनाव में स्वराज पार्टी का दांव सफल हुआ और पदमाराम  की 18861 मतों से जीत हुई, जबकि कांग्रेस के जेठमल 18,120 मत पाकर भी चुनाव हार गए.


चौथा विधानसभा चुनाव 1972


1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से जेठमल को ही चुनावी मैदान में उतारा तो स्वराज पार्टी ने फिर से पदमाराम को टिकट दिया यानी मुकाबला एक बार फिर जेठमल बनाम पदमाराम था. इस चुनाव में जेठमल पदमाराम पर भारी पड़े और उनके पक्ष में 27,472 वोट पड़े तो वहीं स्वराज पार्टी के पदमा राम को 9503 मतदाताओं का ही समर्थन प्राप्त हो सका और उसके साथ ही जेठमल एक बार फिर वापसी करने में कामयाब हुए.


पांचवा विधानसभा चुनाव 1977


1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जेठमल ने फिर से ताल ठोकी तो वहीं जनता पार्टी की ओर से प्रकाश चंद्र चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में परबतसर की जनता ने फिर से जेठमल पर भरोसा किया और उन्हें 249 94 मतों से जीत हासिल कराई प्रकाश चंद्र के पक्ष में 18,010 मत ही पड़े. इसके साथ ही जेठमल तीसरी बार विधायक के रूप में विधानसभा पहुंचे.


छठा विधानसभा चुनाव 1980


1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जबरदस्त गुटबाजी का सामना कर रही थी, जेठमल कांग्रेस यू के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं भाजपा ने रामपाल को चुनावी जंग में भेजा. इस चुनाव में भी जेठमल अपनी सीट निकालने में कामयाब रहे और उन्हें 17,019 मतदाताओं का समर्थन प्राप्त हुआ जबकि भाजपा के रामपाल को 9,414 मत ही हासिल हो सके.


सातवां विधानसभा चुनाव 1985


1985 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने सबसे मजबूत सिपाही जेठमल को फिर से चुनावी जंग में भेजा तो वहीं लोक दल की ओर से मोहनलाल चुनावी मैदान में ताल ठोकते नजर आए. इस चुनाव में लोक दल के मोहनलाल के पक्ष में 35,722 वोट पड़े तो वहीं कांग्रेस के जेठमल को 21817 मतदाताओं का ही समर्थन प्राप्त हो सका और उसके साथ ही मोहनलाल की जीत हुई, जबकि परबतसर से चौथी बार के विधायक जेठमल को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा.


आठवां विधानसभा चुनाव 1990


1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदलते हुए खिबकरण को चुनावी मैदान में उतारा तो वहीं जनता दल की ओर से मोहनलाल ने ताल ठोकी. वहीं निर्दलीय उम्मीदवार बाबूलाल ने इस चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया. इस चुनाव के नतीजे आए तो परबतसर की 50 फ़ीसदी जनता मोहनलाल के साथ खड़ी नजर आए और उन्हें 36,348 वोट मिले, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार बाबूलाल को 22,209 मतदाताओं का साथ प्राप्त हुआ जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही और उसे सिर्फ 16% जनता ने अपना समर्थन दिया.


9वां विधानसभा चुनाव 1993


1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मोहनलाल को चुनावी जंग में उतारा जो कि पिछले चुनाव में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीत चुके थे वहीं बीजेपी की ओर से राकेश मेघवाल ने ताल ठोकी. इस चुनाव में बीजेपी का दांव सफल रहा और राकेश मेघवाल 39,825 मतों के साथ जीतने में कामयाब हुए. जबकि कांग्रेस के मोहनलाल को हार का सामना करना पड़ा. हालांकि जीत और हार का अंतर 200 मतों से भी कम का था.



10वां विधानसभा चुनाव 1998


1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से मोहनलाल को ही चुनावी जंग में भेजा जबकि बीजेपी की ओर से राकेश मेघवाल चुनावी मैदान में ताल ठोकते नजर आए यानी मुकाबला एक बार फिर मोहन लाल वर्सेस राकेश मेघवाल का था. इस चुनाव में मोहनलाल को 55,504 मतदाताओं का साथ प्राप्त हुआ तो वहीं राकेश मेघवाल 42,715 मतदाताओं का ही साथ मिल सका. इसके साथ ही मोहनलाल फिर से विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए.


11वां विधानसभा चुनाव 2003 


2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने उम्मीदवारों को फिर से रिपीट किया और राकेश मेघवाल और मोहनलाल एक दूसरे को चुनौती देते नजर आए. इस चुनाव में बीजेपी को 54,421 मत मिले तो वहीं मोहनलाल को 46,996 वोट मिले. इसके साथ ही राकेश मेघवाल की जीत हुई.


12वां विधानसभा चुनाव 2008


2008 के विधानसभा चुनाव में परबतसर के समीकरण बदल गए. यह सीट परिसीमन के बाद अनुसूचित जाति वर्ग से एक बार फिर सामान्य वर्ग की हो गई. लिहाजा ऐसे में नए दावेदार निकल कर सामने आए. कांग्रेस ने दलपत सिंह को टिकट दिया. जबकि बीजेपी की ओर से मानसिंह ने ताल ठोकी. निर्दलीय के तौर पर लच्छाराम चुनावी मैदान में उतरे. हालांकि चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी के मानसिंह और लच्छाराम  के बीच रहा. लच्छाराम को परबतसर की 21 फ़ीसदी जनता का समर्थन हासिल हुआ और उन्हें 25,012 वोट मिले. जबकि भाजपा के मानसिंह को 22 फ़ीसदी से ज्यादा मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ और उन्हें 26,704 मत मिले और उसके साथ ही मान सिंह इस चुनाव को जीतने में कामयाब हुए.


13वां विधानसभा चुनाव 2013


2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर से मानसिंह को ही टिकट देकर चुनावी जंग में भेजा तो वहीं कांग्रेस ने निर्दलीय के तौर पर पिछले चुनाव में ताल ठोकने वाले लच्छाराम पर भरोसा जताया और उन्हें टिकट दिया. हालांकि कांग्रेस की रणनीति फिर विफल साबित हुई और लच्छाराम को 58,938 प्राप्त हुए जबकि मानसिंह को 75,236 वोट मिले. इसके साथ ही मान सिंह लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने में कामयाब हुए.


14वां विधानसभा चुनाव 2018


2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने युवा चेहरा उतारते हुए रामनिवास गावड़िया को टिकट दिया तो वहीं बीजेपी का भरोसा लगातार दो बार के विधायक मानसिंह पर कायम रहा. हालांकि चुनाव बेहद रोमांचक रहा. इस चुनाव में परबतसर की जनता ने युवा चेहरा पर भरोसा करते हुए उन्हें 76,373 वोट दिए तो वही मानसिंह 61,888 मतदाताओं का ही समर्थन प्राप्त करने में सफल हुए और उसके साथ ही रामनिवास गावड़िया परबतसर के विधायक के रूप में राजस्थान विधानसभा पहुंचे.


ये भी पढ़ें..


Rajasthan Election: कांग्रेस का गढ़ रही मेड़ता सीट पर आज हनुमान बेनीवाल की पार्टी का कब्जा, क्या फिर हो पाएगा फतह


Rajasthan Election: लाडनूं में क्या BJP बिगाड़ेगी मुकेश भाकर का खेल, 6 बार जीता ये नेता लेकिन हर बार बदली पार्टी