Rajasthan Exit polls results 2023: एग्ज़िट पोल के रुझानों ने बढ़ाई नेताओं की धड़कनों की रफ्तार, अब उठ रहे ये सवाल
Rajasthan election Exit polls results 2023: नतीजों से पहले सर्वे आ गए हैं. नतीजों का इन्तज़ार है. नेताओं की धड़कनों की रफ्तार में उतार-चढ़ाव आ रहा है. लेकिन यह क्या? अचानक सर्वे के रुझान ने भी नेताओं के नज़रिये में बदलाव दिखा दिया है. दरअसल एग्ज़िट पोल में जो रुझान आए, वो कई लोगों को चौंका रहे हैं. इसके साथ ही ऐसे एग्ज़िट पोल की विश्वसनीयता पर भी लोग चर्चा करने लगे हैं.
Rajasthan election Exit polls results 2023: एग्ज़िट पोल आ गए हैं. हर कोई अपने नज़रिये और सहूलियत से इन रुझानों को देख रहा है लेकिन इसके साथ ही चर्चा एक बात की और है कि इन एग्ज़िट पोल की विश्वनसनीयता कितनी मानी जाए? दरअसल यह सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि सभी एग्ज़िट पोल के रुझान एक जैसे नहीं हैं. साथ ही सवाल पूर्व अनुभवों को देखते भी हो रहे हैं. कर्नाटक चुनाव से लेकर 2018 में हुए राजस्थान चुनाव के एग्ज़िट पोल के रुझानों को लेकर भी अब तुलना हो रही है. ऐसे में दिख रहा है कि एग्ज़ित पोल के अनुमान की सटीकता तकरीबन 70 से 75 फ़ीसदी तक रहती है.
नतीजों से पहले सर्वे आ गए हैं. नतीजों का इन्तज़ार है. नेताओं की धड़कनों की रफ्तार में उतार-चढ़ाव आ रहा है. लेकिन यह क्या? अचानक सर्वे के रुझान ने भी नेताओं के नज़रिये में बदलाव दिखा दिया है. दरअसल एग्ज़िट पोल में जो रुझान आए, वो कई लोगों को चौंका रहे हैं. इसके साथ ही ऐसे एग्ज़िट पोल की विश्वसनीयता पर भी लोग चर्चा करने लगे हैं. सवाल यह है कि क्या एग्ज़िट पोल को पूरा भरोसेमंद माना जाए? क्या एग्ज़िट पोल को परिणाम से पहले परिणाम के रूप में देखा जाए? और सवाल यह भी कि क्या एग्ज़िट पोल को उनके पूर्व इतिहास और सटीकता के आधार पर आंका जाए?
दरअसल हाल ही में हुए कर्नाटक चुनाव में कई एग्ज़िट पोल आए. इनमें से अधिकांश एग्ज़िट पोल बीजेपी को बढ़त दिखा रहे थे. कुछ ऐसे भी थे, जो नज़दीकी मुकाबला बता रहे थे तो कुछ ने कांग्रेस को बढ़त दिखाई. अब सवाल यह उठता है कि अगर एग्ज़िट पोल वोटर की राय पर तैयार किये जा रहे हैं तो इनमें इतना अन्तर कैसे? और सवाल यह भी कि अन्तर आ रहा है, तो इसका कारण क्या हो सकता है?
कर्नाटक चुनाव के नतीजों से तुलना
कर्नाटक चुनाव के नतीजों और उससे पहले आए एग्ज़िट पोल अनुमानों की तुलना करें तो लगता है कि इसकी सटीकता तकरीबन 75 फीसदी के आसपास ठहरती है. लेकिन राजस्थान विधानसभा के पिछले चुनाव नतीजों और उस समय के एग्ज़िट पोल को भी इस तुलना में जोड़ दें तो यह आंकड़ा और कम हो जाता है. गुरुवार को आए रुझान को लेकर भी लोगों में चर्चा इसी बात की है.
दरअसल सी-वोटर के सर्वे का मानना है कि इस बार राजस्थान में बीजेपी को 94 से 114 सीट, कांग्रेस को 71 से 91 सीट और अन्य को 9 से 19 सीट जा सकती है. टाइम्स नाउ-सीएनएक्स ने भाजपा को 85, कांग्रेस को 105 और अन्य को 09 सीटें दी थीं. आज तक-एक्सिस माय इंडिया ने अपने अनुमान में भाजपा के लिए 63 सीटें, कांग्रेस को 130 सीटें और अन्य को 06 सीटें दी थीं.
एक और निजी सर्वे की तरफ से जारी सर्वे कहता है कि भाजपा को 93 सीटें, कांग्रेस को 91 सीटें और अन्य को 15 सीटें मिलनी थीं. सी-वोटर के एग्जिट पोल में भाजपा को 60 सीटें, कांग्रेस को 137 सीटें और अन्य को 02 सीटें मिलती दिखाई गई थीं.
सीएनएक्स (साल-2018)
भाजपा 85 सीटें
कांग्रेस 105 सीटें
अन्य 09 सीटें
एक्सिस माय इंडिया (साल-2018)
भाजपा 63 सीटें
कांग्रेस 130 सीटें
अन्य 06 सीटें
यह भी पढे़ं- Rajasthan Election 2023: दिव्यांग मतदाताओं ने किया 76.16 प्रतिशत मतदान, 2018 में रहा था 19.02%
जन की बात (साल-2018)
भाजपा 93 सीटें
कांग्रेस 91 सीटें
अन्य 15 सीटें
सी वोर्टर्स (साल-2018)
भाजपा 60 सीटें
कांग्रेस 137 सीटें
अन्य 02 सीटें
नतीजों ने कई एग्ज़िट पोल पर सवाल उठा दिए
सर्वे और एग्ज़िट पोल के रुझाने के बाद 2018 में विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो यहां सरकार बदलने की परिपाटी तो दिखी लेकिन एग्ज़िट पोल का दम-खम कहीं खो गया. पिछली बार के नतीजों में कांग्रेस को 99 सीटें मिली और कांग्रेस सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनी. जबकि सत्ताधारी बीजेपी को 73, बीएसपी को 6 और अन्य दलों के साथ निर्दलियों को 20 सीट मिली. चुनाव 199 सीट पर हुए थे तो आरएलडी के सहयोग से कांग्रेस जादूई आंकड़े तक तो पहुंची लेकिन उन नतीजों ने कई एग्ज़िट पोल पर सवाल उठा दिए.
बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही सवाल उठा रही
ऐसे में अबकी बार भी एग्ज़िट पोल को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही सवाल उठा रही हैं. बीजेपी का कहना है कि उनकी सीटें एग्ज़िट पोल के अनुमान से ज्यादा होंगी. जबकि कांग्रेस कह रही है कि सर्वे चाहे कुछ भी हो, वो सरकार बनाएगी लेकिन इन सबके बीच सवाल यह उठता है? कि क्या दो लाख से ज्यादा वोटर्स की विधानसभा में महज 2-3 हज़ार के सैम्पल सर्वे के आधार पर जारी किये जाने वाले एग्ज़िट पोल को परिणाम से पहले परिणाम माना जा सकता है? सवाल यह भी उठता है? कि क्या वोटर इतना सहज है? कि जिसे वह वोट दे रहा है?
एग्ज़िट पोल में भी उसी पार्टी को वोट देना बताएगा? और सवाल यह कि अगर किसी सर्वे के दौरान एक ही पार्टी को समर्थन करने वाले अलग-अलग वोटर ने अपनी राय दी है... तो क्या उसकी स्केलिंग करने की कोई वैज्ञानिक पद्धति सर्वे ऐजेन्सीज़ के पास है? ऐसे में नेताओं का मानना है? कि कोई एग्ज़िट पोल इन सभी कसौटियों पर खरा नहीं उतरता तो उसे किस हद तक नतीजों से पहले नतीजों की संज्ञा दी जा सकती है?