Chidawa ke Pede: दीवाली के सीजन में मिठाई की बात चलती हैं. तो जुबां पर झुंझुनूं के चिड़ावा का नाम जरूर आता है. झुंझुनूं जिले के अधिकांश कस्बे किसी न किसी मिठाई के लिए प्रसिद्ध हैं. यहां के पेड़े और राजभोग की अलग पहचान है. इनमें भी पेड़े सबसे अलग हैं. चिड़ावा के पेड़े देशभर में प्रसिद्ध हैं. विदेशों में रहने वाले प्रवासी भी इनके मुरीद हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चिड़ावा कस्बे में पेड़ों का सालाना कारोबार करीब 70 करोड़ रुपए का है. इस काम से जुटे करीब 8 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला हुआ है. कभी चिड़ावा में सिर्फ एक दुकान हुआ करती थी. आज काफी दुकानें खुल चुकी हैं. यहां का पेड़ा देशभर में प्रसिद्ध है. चिड़ावा के पेड़ों की खासियत भी अनूठी है. यहां के पेड़े में दो आंखें होती हैं. यानी पेड़े में अंगुली का निशान एक नहीं, बल्कि दो होते हैं. बाकी देश में कहीं भी ऐसा नहीं होता है. सब जगह के पेड़े में सिर्फ एक ही निशान होता है. चिड़ावा के कारोबारी इसे दो आंख वाला पेड़ा कहते हैं. यानी दो अंगुलियों के निशान सिर्फ चिड़ावा के पेड़ों पर ही होते हैं. बाकी देशभर में जहां भी पेड़े बनते हैं, उनके एक ही अंगूली का निशान होता है.


हालांकि देखादेखी में अब कई जगह दो निशान लगाने लग गए, लेकिन चिड़ावा के पेड़ों की दो आंखें देखते ही इसके मुरीद इसे पहचान लेते हैं. दो आंख के अलावा चिड़ावा का पेड़ा साइज में बड़ा और चपटा होता है. बाकी पेड़े साइज में छोटे और मोटे होते हैं. राजस्थान के साथ साथ हरियाणा-दिल्ली जाने वाली बसों में पेड़ा राजस्थान से बाहर जाता है. देश के कई बड़े शहरों, खासकर पूर्व और दक्षिण भारत के अधिकांश शहरों में ऑर्डर पर यहां से पेड़ा भेजा जाता है. यहां के पेड़ों की खास बात यह है कि ये लंबे समय तक खराब नहीं होते हैं. क्योंकि इनमें शुद्ध मावा काम में लिया जाता है. बनाने की तकनीक भी ऐसी है कि इन्हें कितने भी दिन सुरक्षित रखा जा सकता है.


चिड़ावा के पेड़ों की एक अहम विशेषता यह भी है कि यह जल्दी खराब नहीं होते. इसकी वजह शुद्ध मावा, यहां का पानी, दूध व उसकी घुटाई को माना जाता है. त्योहारी सीजन के अलावा सालभर चिड़ावा के पेड़ों की डीमांड देशभर से आती रहती हैं इसके लिए चिड़ावा के व्यापारियों ने अपनी साईट बना रखी हैं जिसपर लोग ऑनलाइन आर्डर करते हैं वही सालासर और खाटू श्याम में भी श्रद्धालु सवामनी के लिए यहाँ से पेड़ों मंगवाते हैं.


यह भी पढ़ेंः 


Rajasthan के चुनावी रण में उतरे आरपीएससी के दो सदस्य, बीजेपी ने मांगा इस्तीफा


हमारा मुकाबला BJP से नहीं, ED, CBI और इनकम टैक्स से है, सीएम ने ये क्यों कहा? जानिए