शेखावाटी की वो सीट जहां BJP मोदी लहर में भी हारी, अब हनुमान बेनीवाल बिगाड़ेंगे `गेम प्लान`
Sardarshahar Churu Vidhansabha Seat: 2023 के विधानसभा चुनाव में सरदारशहर से कांग्रेस एक बार फिर अनिल शर्मा को टिकट दे सकती है, तो वहीं भाजपा में टिकट दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त है. जानें यहां का पूरा सियासी गणित...
Sardarshahar Churu Vidhansabha Seat: चूरू का सरदार शहर विधानसभा क्षेत्र शेखावाटी की एक महत्वपूर्ण सीट है. जहां से मौजूदा वक्त में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे भंवरलाल शर्मा के पुत्र अनिल कुमार शर्मा विधायक हैं. इस सीट पर हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की दावेदारी ने चुनाव को दिलचस्प बना दिया है.
खासियत
सरदारशहर विधानसभा क्षेत्र यूं तो कांग्रेस का गढ़ रही है, यहां से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड वरिष्ठ नेता भंवरलाल शर्मा के नाम है. भंवरलाल शर्मा ने 1985 में पहली दफा जीत दर्ज की थी, तब उन्होंने लोकदल के टिकट पर चुनाव जीता था. इसके बाद भंवरलाल शर्मा 1990 में जनता दल के टिकट पर जीते और 1996 के उपचुनाव में भी उन्होंने जनता दल के टिकट पर ही जीत दर्ज की. हालांकि 1998 के चुनाव से पहले वह कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्होंने 1998, 2003, 2013 और 2018 में जीत दर्ज की. इस सीट पर सबसे पहले जीत की हैट्रिक कांग्रेस के चंदनमल बैद में लगाई थी. उन्होंने 1951 में पहला ही विधानसभा चुनाव जीता, उसके बाद वह 1967 तक यहां से विधायक रहे.
सरदारशहर जातीय समीकरण
सरदारशहर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा आबादी जाट मतदाताओं की है. वहीं उसके बाद सबसे ज्यादा मूल ओबीसी हैं. साथ ही ब्राह्मण, मुस्लिम, राजपूत, वैश्य और एसटी-एससी मतदाता है. सरदारशहर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या दो लाख 69351 है. जिसमें पुरूष मतदाता एक लाख 42170 व महिला मतदाता की संख्या एक लाख 27181 है.
2023 का विधानसभा चुनाव
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस एक बार फिर अनिल शर्मा को टिकट दे सकती है, तो वहीं भाजपा में टिकट दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त है. भाजपा से पूर्व विधायक अशोक पेंचा टिकट की दावेदारी जाता रहे हैं, तो वहीं रतनगढ़ से विधायक रहे पूर्व मंत्री राजकुमार रिणवा, सुरेंद्र सराफ और अन्य कई दावेदार भी है. आपको बता दें कि राजकुमार रिणवा का पिछले विधानसभा चुनाव में रतनगढ़ से टिकट काट दिया था, जिसके बाद उन्हें पार्टी सरदार शहर से टिकट दे रही थी, लेकिन उन्होंने टिकट लेने से इनकार कर दिया था. वहीं हनुमान बेनीवाल की राष्ट्र लोकतांत्रिक पार्टी से लालचंद मुंड भी एक मजबूत दावेदार है, जो चुनाव को त्रिकोणीय बना सकते हैं.
सरदारशहर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास
पहला विधानसभा चुनाव 1951
1951 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चंदनमल बैध को टिकट दिया तो उन्हें सबसे कड़ी चुनौती निर्दलीय उम्मीदवार कुंवर सिंह से मिली. इस चुनाव में कांग्रेस के चंदनमल कुंवर सिंह को पटकनी देने में कामयाब हुए और 8,807 मतों के साथ जीत मिली, जबकि कुंवर सिंह 5,727 मत ही हासिल कर सके.
दूसरा विधानसभा चुनाव 1957
1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने चंदनमल को ही टिकट दिया तो वहीं उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार ओंकार ओमकार मल, मोहनलाल और हीरालाल से चुनौती मिली. लेकिन चंदनमल एक बार फिर सरदार शहर की जनता का दिल जीतने में कामयाब रहे और उन्हें 7,182 मत हासिल हुए. जबकि ओंकार मल दूसरे, मोहनलाल तीसरे और हीरालाल चौथे स्थान पर रहे.
तीसरा विधानसभा चुनाव 1962
1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से चंदन मल को ही टिकट दिया तो निर्दलीय के तौर पर मलचंद चुनावी मैदान में उतरे. चुनाव में कांग्रेस के चंदन मल की एक बार फिर जीत हुई और उन्हें 15,144 मत हासिल हुए जबकि मालचंद 14,177 मत ही हासिल कर सके. हालांकि उन्होंने एक कड़ी टक्कर देने की कोशिश की.
चौथा विधानसभा चुनाव 1967
1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से चंदनमल बैध को टिकट दिया तो वहीं उन्हें आर सिंह ने निर्दलीय उतरकर चुनौती दी. चुनाव में लगातार तीन बार जीत हासिल करने वाले चंदनमल को हार का सामना करना पड़ा और 29,557 मतों से आर सिंह की जीत हुई.
पांचवा विधानसभा चुनाव 1972
1972 के विधानसभा चुनाव में चंदनमल ने एक बार फिर कांग्रेस का टिकट हासिल किया और चुनावी मैदान में उतर आए तो वहीं कम्युनिस्ट पार्टी के रमेश कुमार उन्हें चुनौती देने उतरे. हालांकि चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के रमेश कुमार को चंदनमल ने धूल चटा दी और रमेश कुमार सर 6,610 मतदाताओं का ही समर्थन प्राप्त कर सके. जबकि चंदनमल को 32,676 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ.
छठा विधानसभा चुनाव 1977
1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदला और हनुमान मल रेडियो को टिकट दिया जबकि जनता पार्टी से हजारीमल चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में हजारीमल को 35,605 मत हासिल हुई तो वहीं हनुमान मल रेडियो 17,619 मत ही हासिल कर सके और उसके साथ ही हजारीमल की चुनाव में जीत हुई.
सातवां विधानसभा चुनाव 1980
1980 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से मोहनलाल को टिकट मिला तो इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने मोहर सिंह को टिकट दिया. इस चुनाव में बीजेपी के मोहनलाल की जीत हुई और उन्हें 21,662 मत हासिल हुए जबकि कांग्रेस उम्मीदवार 21,428 मत के साथ कड़ी चुनौती देने में कामयाब हुए.
उपचुनाव 1982
साल 1982 में सरदार शहर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव कराने पड़े. इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से के.मल उम्मीदवार बने तो बीजेपी ने एम बल्लभ को अपना उम्मीदवार बनाया. चुनावी नतीजा आए तो कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई और उन्हें 24,316 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ. जबकि भाजपा 23,022 के साथ दूसरे स्थान पर रहे.
आठवां विधानसभा चुनाव 1985
1985 के विधानसभा चुनाव में लोक दल की ओर से भंवरलाल शर्मा को टिकट मिला तो वहीं कांग्रेस ने एक बार फिर अपने पुराने और मजबूत खिलाड़ी चंदनमल बैध को टिकट दिया. इस चुनाव में चंदनमल बैद 38,892 मत हासिल कर सके तो वहीं भंवरलाल शर्मा 40,755 मतों के चुनाव जीते.
9वां विधानसभा चुनाव 1990
1990 के विधानसभा चुनाव में भंवरलाल शर्मा जनता दल के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे तो कम्युनिस्ट पार्टी की ओर से रमेश कुमार पोटलिया को टिकट मिला. इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार भीकम सिंह बने. चुनावी नतीजे आए तो भंवर लाल शर्मा एक बार फिर चुनाव जीतने में कामयाब रहे. कम्युनिस्ट पार्टी के रमेश कुमार दूसरे और कांग्रेस के भीकम सिंह तीसरे स्थान पर रहे. भंवर लाल शर्मा को 31,094 वोट मिले.
11वां विधानसभा चुनाव 1993
1993 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नरेंद्र बुडानिया को टिकट दिया तो वहीं भंवरलाल शर्मा भाजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में नरेंद्र बुडानिया बीजेपी के भंवरलाल शर्मा को पटखनी देने में कामयाब हुए और उन्हें 53,902 हासिल हुए. जबकि भंवरलाल शर्मा 49,589 मत हासिल कर सके.
उपचुनाव 1996
1996 के विधानसभा के उपचुनाव में जनता दल से भंवरलाल शर्मा का टिकट मिला तो राम सिंह बीजेपी के उम्मीदवार बने. इस चुनाव में भंवरलाल शर्मा की जीत हुई और उन्हें 59,049 मत हासिल हुए. उसके साथ ही भंवरलाल शर्मा एक बार फिर से विधायक चुने गए.
11वां विधानसभा चुनाव 1998
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ा खेल खेलते हुए भंवरलाल शर्मा को टिकट दिया तो वहीं भाजपा की ओर से अशोक कुमार चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में अशोक कुमार को 33,538 मत हासिल हुई तो वहीं भंवरलाल शर्मा 71,088 मतों के साथ एक बार फिर सरदार शहर के सरदार साबित हुए.
12वां विधानसभा चुनाव 2003
2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से एक बार फिर भंवरलाल शर्मा उम्मीदवार बने तो वहीं भाजपा ने अशोक कुमार को ही टिकट दिया. यानी एक बार फिर मुकाबला भंवर लाल शर्मा बनाम अशोक कुमार था. इस चुनाव में अशोक कुमार भंवरलाल शर्मा को चुनौती देने में तो कामयाब हुए लेकिन उसे जीत में नहीं बदल सके. भंवरलाल शर्मा को 54,445 मत मिले तो वहीं अशोक कुमार को 52,384 मत मिले और उसके साथ ही भंवरलाल शर्मा की एक बार फिर जीत हुई.
13वां विधानसभा चुनाव 2008
2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से भंवरलाल शर्मा को टिकट दिया तो वहीं बीजेपी ने अशोक पिंचा को अपना उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में बीजेपी के अशोक पिंचा भंवरलाल शर्मा को आखिरकार पटखनी देने में कामयाब हुए और उन्हें 73,902 मत मिले. शर्मा 64,128 में हासिल कर सके.
14वां विधानसभा चुनाव 2013
2013 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने अशोक कुमार को ही टिकट दिया, वहीं कांग्रेस ने सियासत के माहिर खिलाड़ी माने जाने वाले भंवरलाल शर्मा को एक बार फिर अपना उम्मीदवार बनाया. इस चुनाव में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस के भंवरलाल शर्मा जितने कामयाब हुए और उन्हें 86,732 मत मिले जबकि अशोक कुमार 79,675 मत ही हासिल कर सके.
15वां विधानसभा चुनाव 2018
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से भंवरलाल शर्मा को फिर से टिकट मिला तो वहीं भाजपा ने अशोक कुमार पर एक बार फिर दांव खेला. चुनाव में अशोक कुमार 78,466 मत हासिल कर सके तो वही भंवरलाल शर्मा 95,282 मतों के साथ विजयी हुए और सरदार शहर में एक बार फिर भंवर लाल शर्मा का ही डंका बजा.
उपचुनाव 2022
कांग्रेस के दिग्गज नेता भंवरलाल शर्मा का 9 अक्टूबर 2022 को जयपुर में निधन हो गया. लिहाजा ऐसे में सरदार शहर में चुनाव कराने पड़े. कांग्रेस ने भंवरलाल शर्मा के पुत्र अनिल कुमार शर्मा को टिकट दिया तो वहीं बीजेपी का दांव अशोक कुमार पर कायम रहा. वहीं हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने लालचंद मुंड को टिकट दिया. इस चुनाव में आरएलपी के लाल चंदन 22% से ज्यादा मत हासिल करने में कामयाब हुए तो वहीं बीजेपी के अशोक कुमार को अनिल शर्मा ने 26,852 मतों से शिकस्त दी और 91 हजार 357 मतों से विजय हुए जबकि अशोक कुमार 64,505 मत की हासिल कर सके.
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