Rajasthan Election : 22 दावेदारों के बीच क्या राजेंद्र पारीक को फिर मिलेगा टिकट, BJP में राजकुमारी या जलधारी के बीच फंसेगा पेंच
Sikar Vidhansabha Seat : शेखावाटी का सीकर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के राजेंद्र पारीक विधायक है. यहां से भाजपा के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. पढ़ें इस सीट का चुनावी इतिहास..
Sikar Vidhansabha Seat : शेखावाटी का सीकर विधानसभा क्षेत्र चुनावी लिहाज से बेहद अहम है. यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है, लेकिन पिछले 25 सालों से यहां एक बार कांग्रेस और एक बार बीजेपी जितती आई है. यहां से मौजूदा वक्त में कांग्रेस के राजेंद्र पारीक विधायक है.
खासियत
सीकर विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड यहां के मौजूदा विधायक राजेंद्र पारीक के नाम है. राजेंद्र पारीक ने 1990 में पहली दफा जीत दर्ज की थी. इसके बाद वह 1993, 1998, 2008 और 2018 में जितने में कामयाब हुए. वहीं भाजपा के दिग्गज नेता और राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं. घनश्याम तिवारी ने 1980 और 1985 में यहां से जीत दर्ज की थी, जबकि 1990 में उन्हें यहां करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
2023 का विधानसभा चुनाव
सीकर विधानसभा क्षेत्र में टिकट दावेदारों की एक लंबी फेहरिस्त है. जहां कांग्रेस में मौजूदा विधायक राजेंद्र पारीक समेत कुल 22 नेताओं ने दावेदारी जताई है. इनमें पीसीसी महासचिव फूल सिंह ओला, जिला अध्यक्ष सुनीता गाठाला और मनोहर सिंह गौड़ समेत कई अन्य नाम शामिल है. वहीं बीजेपी में भी टिकट दावेदारों की संख्या कम नहीं है. 2013 से 2018 तक विधायक रह चुके रतनलाल जलधारी और पूर्व विधायक राजकुमारी शर्मा समेत कई अन्य दावेदार भाजपा खेमें से भी दिखाई पड़ रहे हैं.
सीकर विधानसभा क्षेत्र का इतिहास
पहला विधानसभा चुनाव 1951
1951 के पहले विधानसभा चुनाव में सीकर दो सीटों में बटी हुई थी. सीकर टाउन और सीकर तहसील. सीकर टाउन से कांग्रेस ने राधा कृष्ण को चुनावी मैदान में उतारा, जबकि कृषक लोक पार्टी से कुमार नारायण चुनावी मैदान में उतरे. वहीं राम राज्य परिषद की ओर से गुलाब चंद्र चुनावी ताल ठोकते नजर आए. इस चुनाव में कांग्रेस के राधा कृष्ण की जीत हुई और उन्हें 8,360 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ जबकि सीकर तहसील विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने रामदेव सिंह को टिकट दिया. वहीं राम राज्य परिषद की ओर से पृथ्वी सिंह और कृषक लोक पार्टी से ईश्वर सिंह चुनावी मैदान में उतरे. चुनाव में कृषक लोक पार्टी के ईश्वर सिंह की जीत हुई.
दूसरा विधानसभा चुनाव 1957
1957 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने लादूराम को टिकट दिया तो वहीं भारतीय जन संघ से जगदीश प्रसाद चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में कांग्रेस के लादूराम को 6,472 वोट मिले तो वहीं भारतीय जन संघ के जगदीश प्रसाद को 7,526 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ और उसके साथ ही जगदीश प्रसाद इस चुनाव को जीतने में कामयाब रहे.
तीसरा विधानसभा चुनाव 1962
1962 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने स्वरूप नारायण को टिकट दिया जबकि उस वक्त के तत्कालीन विधायक जगदीश प्रसाद जन संघ से चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में 13,749 मतों से स्वरूप नारायण की जीत हुई जबकि 7,805 मत ही जगदीश प्रसाद जीत सके. उसके साथ ही उनको शिकायत का सामना करना पड़ा.
चौथा विधानसभा चुनाव 1967
1967 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रामदेव सिंह को टिकट दिया तो वहीं उनके सबसे करीबी प्रतिद्वंद्वी बी सोडाणी बने. इस चुनाव में बी सोडाणी को 21,471 मत हासिल हुई तो वहीं रामदेव सिंह 25,048 मतों के साथ विजयी हुए.
पांचवा विधानसभा चुनाव 1972
1972 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर रामदेव सिंह को ही टिकट दिया तो वहीं स्वराज पार्टी की ओर से गोवर्धन सिंह चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में रामदेव सिंह को 24,081 वोट मिले तो वहीं स्वराज पार्टी के गोवर्धन सिंह 28,713 मतों से विजयी हुए.
छठा विधानसभा चुनाव 1977
1977 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रणमल सिंह को टिकट दिया तो वहीं जनता पार्टी की ओर से मदनलाल चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में मदनलाल को 18,605 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ तो कांग्रेस के रणमल सिंह 24,626 मतों के साथ विजय हुए.
7वां विधानसभा चुनाव 1980
1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जबरदस्त गुटबाजी से जूझ रही थी. इस चुनाव में बीजेपी ने घनश्याम तिवारी को टिकट दिया तो वहीं जनता पार्टी की ओर से मोहम्मद हुसैन चुनावी मैदान में उतरे. वहीं कांग्रेस ने सोमनाथ त्रेहन को टिकट दिया. इस चुनाव में बीजेपी के घनश्याम तिवारी की जीत हुई और उन्हें 17,413 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ जबकि जनता पार्टी के मोहम्मद हुसैन दूसरे और कांग्रेस के सोमनाथ त्रेहन तीसरे स्थान पर रहे.
आठवां विधानसभा चुनाव 1985
1985 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर से घनश्याम तिवारी को ही चुनावी मैदान में उतारा तो वहीं कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदली और सावरमल को टिकट दिया. इस चुनाव में सावरमल को 25,074 वोट हासिल हुई तो वहीं घनश्याम तिवारी 37,270 में हासिल करने में कामयाब हुए. उसके साथ ही लगातार दूसरी बार घनश्याम तिवारी ने यहां से जीतने का रिकॉर्ड बनाया.
9वां विधानसभा चुनाव 1990
1990 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने फिर से घनश्याम तिवारी को ही टिकट दिया तो वहीं कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदलते हुए राजेंद्र पारीक को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में कांग्रेस के राजेंद्र पारीक की जीत हुई और उन्होंने 49,560 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ जबकि बीजेपी के घनश्याम तिवारी लगातार दो बार जीत हासिल करने के बाद इस चुनाव में हार गए और उन्हें 41,022 मत मिले.
दसवां विधानसभा चुनाव 1993
1993 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस की ओर से राजेंद्र पारीक ही चुनावी मैदान में उतरे तो वहीं भाजपा ने अपनी रणनीति बदलते हुए मदनलाल सोनी को टिकट दिया. इस चुनाव में मदनलाल सोनी को 36,712 मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ जबकि कांग्रेस के राजेंद्र पारीक 36,866 वोटो के साथ विजयी हुए और राजेंद्र पारीक ने लगातार दो बार जीत हासिल की.
11वां विधानसभा चुनाव 1998
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से राजेंद्र पारीक ने फिर से दावदारी जताई तो वहीं भाजपा ने प्रेम सिंह बाजोर को टिकट दिया. इस चुनाव में प्रेम सिंह बाजोट 44,238 वोट हासिल कर पाए जबकि उनके करीबी प्रतिद्वंदी राजेंद्र पारीक 61,288 मत हासिल करने में कामयाब हुए और उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई.
12वां विधानसभा चुनाव 2003
2003 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से राजेंद्र पारीक पर दांव खेला तो वहीं भाजपा ने अपनी रणनीति बदलते हुए राज कुमारी शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा. इस चुनाव में कांग्रेस पर बीजेपी का पासा भारी पड़ा और राज कुमारी शर्मा 57,557 वोटों के साथ विजयी हुई, जबकि तीन बार के लगातार विधायक राजेंद्र पारीक 55,650 मतों के साथ चुनाव हार गए.
13वां विधानसभा चुनाव 2008
2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से अपने मजबूत सिपाही राजेंद्र पारीक पर ही विश्वास जताया और उन्हें चुनावी मैदान में भेजा तो वहीं बीजेपी की ओर से महेश शर्मा चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में बीजेपी के महेश शर्मा 39,210 मत ही हासिल कर सके. 39,210 मत ही हासिल कर सके, जबकि राजेंद्र पारीक 46,976 वोटों के साथ विजयी हुए और चौथी बार विधानसभा पहुंचे.
14वां विधानसभा चुनाव 2013
2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने फिर से राजेंद्र पारीक को ही टिकट दिया तो वहीं भाजपा की ओर से रतनलाल जलधारी चुनावी मैदान में उतरे. इस चुनाव में रतनलाल जलधारी को 59,587 वोट मिले तो वहीं कांग्रेस के राजेंद्र पारीक को दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा और वह 46,572 मत ही हासिल कर सके और उसके साथ इस चुनाव में बीजेपी की वापसी हुई और रतन लाल जलधारी चुनाव जीतने में कामयाब हुए.
15वां विधानसभा चुनाव 2018
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजेंद्र पारीक तो बीजेपी ने रतन लाल जलधारी को टिकट दिया यानी मुकाबला एक बार फिर राजेंद्र पारीक वर्सेस रतन लाल जल धारी था. इस चुनाव में रतनलाल को 68,292 मत मिले तो कांग्रेस के राजेंद्र पारीक 83,472 मतों के साथ जितने में कामयाब हुए और उसके साथ ही राजेंद्र पारीक इस सीट से पांच बार जीतने का रिकॉर्ड बना पाए.
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