Baran News: बारां के छबड़ा कस्बा ने उस वक्त अपने आप को गौरवांवित समझा जब अपने भरे पूरे परिवार एवं गृहस्थ जीवन को त्याग कर वैराग्य के और अग्रसर डग निवासी मुमुक्षु हिना वैद्य की छबड़ा कस्बे में विशाल एवं धार्मिक शोभायात्रा निकल गई. बैंड-बाजों एवं ढोल-नगाड़ों के साथ निकली शोभायात्रा के स्वागत के लिए पूरे कस्बें को तोरण द्वारों से सजाया गया.


शोभा यात्रा का स्वागत किया


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पूरे मार्ग में पुष्पवर्षा कर स्वागत किया. दीक्षार्थी बहन को दुल्हन की तरह सजाकर बग्घी में बैठाया गया. वहीं, शोभा यात्रा में शामिल लोग भी साफा बांधकर एक भारत की तरह ही चल रहे थे. जिसमें गृहस्थ जीवन के आडंबर त्यागने की प्रक्रिया तहत एक सती मानिक मौतें लुटती हुई चल रही थी.मुस्लिम समाज ने भी पुष्प वर्षा कर एवं ठंडे पेयजल के साथ पूरे उत्साह के साथ शोभा यात्रा का स्वागत किया.


उल्लास का वातावरण छा गया


आप को बता दें कि झालावाड़ जिले के डग निवासी पिता महेंद्र वैद्य एवं माता संगीता वैद्य की पुत्री ने अचानक अपने गृहस्थ जीवन को छोड़कर वैराग्य धारण करने का निर्णय लिया. उसके इस निर्णय से पूरे परिवार को एकाएक तो उसके बिछुड़ने का दुख तो हुआ लेकिन लाडली बेटी के अपने जीवन के कल्याण के लिये सदमार्ग की ओर‌ जाने से पूरे परिवार में उल्लास का वातावरण छा गया.


  जैन समाज के लोगों ने तो भाग लिया


छबड़ा में दीक्षार्थी हिना वैद्य का छबड़ा कस्बे में इसी वैराग्य के तहत उसके फूफा चांदमल हैमेंद्र कुमार मनोज कुमार गोलेछा के तत्वाधान में जैन समाज द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली गई. जैन धर्मशाला से शुरू वर्गोडा में श्वेतांबर एवं जैन समाज के लोगों ने तो भाग लिया. 


साथ ही सर्व समाज के लोगों ने भी बड़चड़ कर भाग लिया. दिक्षार्थी हिना वैद्य एवं भगवान के जयकारों के साथ निकाली शोभायात्रा का पूरे मार्ग में भव्य स्वागत किया गया. मार्ग के दोनों और तो स्वागत के लिए लोग बाग खड़े थे, साथ ही मकान की छतों पर भी बड़ी संख्या में लोग एकत्रित थे. पूरे मार्ग को सभी समाज के लोगों द्वारा स्वागतदारों से सजाया गया था.


मार्ग में जगह-जगह पुष्प वर्षा के साथ भव्य स्वागत किया गया मार्ग में जगह-जगह जैन समाज के साथ ही अन्य लोगों ने मोतियों की माला पहनकर शाल उड़ाकर एवं श्रीफल आदि से बहुमान किया.


लौकिक शिक्षा के लिए स्कूल में भी जा रही है


शुरू से ही धर्म के प्रति थी आस्था- 24 अप्रैल को दीक्षा लेने वाली हीना वैद्य का शुरू से ही धर्म की ओर झुकाव था, रोजाना मंदिर जाना भगवान की पूजा अर्चना करना और बाहरी आडंबर से दूर रहना दिनचर्या में शामिल था. आखिर भगवान के प्रति लगी लो की भावना के चलते ही इस कम उम्र में ही परिवार एवं सांसारिक वस्तुओं से मोह त्याग कर संन्यास लेने का निर्णय लिया.हालांकि दीक्षार्थी धर्म की‌ शिक्षा के साथ लौकिक शिक्षा के लिए स्कूल में भी जा रही है.


श्वेतांबर एवं दिगंबर समाज के लोग शामिल हुए


श्वेतांबर जैन समाज के अध्यक्ष चैन सिंघवी के अनुसार दीक्षार्थी के भव्य स्वागत के लिए समाज द्वारा विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. तीन दिवसीय कार्यक्रम के तहत पहले दिन दीक्षार्थी हीना का छबड़ा आगमन पर बहुमान किया गया. जिसमें दोनों श्वेतांबर एवं दिगंबर समाज के लोग शामिल हुए.


 इस अवसर पर 24 भगवान के भजन कीर्तन एवं गीत संगीत का आयोजन किया गया. दूसरे दिन मूलनायक चंद्रप्रभु भगवान सहित सभी भगवानों के 18 अभिषेक किए गए. 


मूलनायक चंद्रप्रभु भगवान के अभिषेक एवं पूजा के लाभार्थी योगेंद्र कुमार नवीन कुमार जिंदाणी और पारसनाथ भगवान के अभिषेक पूजा के लाभार्थी हिम्मत सिंह राहुल सिंघवी रहे पूरी विधि विधान से मंदिर के शिखर पर पूजा अर्चना कर ध्वजाचढ़ाई गई, ध्वज पूजा के लाभार्थी योगेंद्र कुमार नवीन कुमार जिंदानी रहे.


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