Baran HMPV Virus Case: कोटा मेडिकल कॉलेज से गुरुवार को जिला स्वास्थ्य विभाग को भेजी गई रिपोर्ट में सारथल पीएचसी क्षेत्र के ग्राम पंचायत भानपुरा के ग्राम बादलडा निवासी छ माह के शिशु के HMPV वायरस जांच की पुष्टि में वायरस से ग्रसित पाया गया था. रिपोर्ट के आधार पर विभाग अलर्ट मोड में आया और सारथल राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की चिकित्सा टीम ने तुरंत गांव पहुंचकर कोटा से शिशु का इलाज कराकर लौटे परिजनों से वार्तालाप करके शिशु का स्वस्थ देखा. वहीं, गांव की मॉनिटरिंग करके बच्चों व बुजुर्गों के बारे जानकारी जुटाई. 


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सारथल चिकित्सा प्रभारी डॉ नन्द किशोर वर्मा ने बताया कि जिला स्वास्थ्य भवन से गुरुवार को एक रिपोर्ट मिली, जिसमें कोटा जेके लोन में भर्ती छ माह के शिशु का एचएमपीवी वायरस से संक्रमित पाया गया था, जिसका ईलाज करवाकर चार दिन पूर्व गांव लौटे परिवार से मामले की जानकारी ली गईं, जिसमें बच्ची तीन माह से सर्दी ख़ासी बुखार से पीड़ित होना बताया गया, जिसे ईलाज के लिए कोटा ले जाया गया था. चार दिन पूर्व डिस्चार्ज होकर गांव लौटा है. परिवार जांच में शिशु स्वस्थ पाया गया वहीं वायरस की पुष्टि पर गांव के सभी घरों में मॉनिटरिंग करके बच्चों व बुजुर्गों का स्वस्थ जाँच मॉनिटरिंग का कार्य लगातार किया जाएगा. वहीं, शिशु के स्वास्थ्य को लेकर रोजाना एक टीम गांव का दौरा किया जाएगा. 



गुरुवार को चिकित्सा टीम ने गांव पहुंचकर शिशु के माता पिता से बातचीत में पाया कि कोटा जेके लोन से शिशु का इलाज करवाकर गांव लौटे परिवार को एचएमपीवी वायरस के बारे कोई जानकारी नहीं है. शिशु के पिता बबलू लोधा ने बताया कि बच्ची दो माह की थी तब से सर्दी ख़ासी बुखार से पीड़ित रहती थी, जिसके ईलाज के लिए अकलेरा, झालावाड, कोटा में कई डॉक्टरों को दिखाया, परन्तु स्वस्थ में सुधार नहीं था. फिर कोटा जेके लोन में भर्ती करवाया गया, जहां 13 दिन तक बच्ची वेंटीलेटर पर रखा गया. स्वस्थ होने पर चार दिन पहले गांव लोटे है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से रिपोर्ट में शिशु के एचएमपीवी वायरस से संक्रमित होने का मामला सामने आने व बीते तीन माह से शिशु बीमार रहने पर बड़ा सवाल खड़ा होता है. 



वहीं, ग्राम पंचायत भावपूरा के लगभग चालीस घरों वाले ग्राम बाडलडा गांव शुरू होने से आखिरी छोर तक किचड़ व गंदे पानी से सना हुआ है. किचड़ से होकर जाते रास्ते से होकर ग्रामीण गांव में आते जाते है. गुरुवार को चिकित्सा टीम गांव पहुंची तो किचड़ के कारण वाहनों को गांव के बहार खड़ा करके गांव में पहुँच सकी. ग्रामीणों ने बताया कि साल भर ऐसे ही हालात रहते है. नालियां नहीं होने पर गंदे पानी की निकासी नहीं होती है. ग्राम पंचायत ध्यान नहीं देती है.



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