बाड़मेरः तेल क्षेत्रों का अनुबंध दस सालों के लिए बढ़ा, निवेश की राह खुली
कच्चा तेल उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत सरकार ने देश के बीस प्रतिशत से अधिक योगदान देने वाले बाड़मेर ऑयल ब्लॉक के उत्पादन साझा अनुबंध को दस सालों के लिए विस्तार दे दिया है.
Barmer News: कच्चा तेल उत्पादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भारत सरकार ने देश के बीस प्रतिशत से अधिक योगदान देने वाले बाड़मेर ऑयल ब्लॉक के उत्पादन साझा अनुबंध को दस सालों के लिए विस्तार दे दिया है. पिछले कई सालों से इस एक्सटेंशन को लेकर कयास लगाए जा रहे थे. अब इस विस्तार के साथ राजस्थान में तेल उत्पादन बढ़ाने, नए प्रोजेक्ट्स पर आगे बढ़ने और निवेश की राह खुल गई है.
वेदांता लिमिटेड की एक यूनिट और भारत में तेल एवं गैस की खोज और उत्पादन करने वाली सबसे बड़ी निजी कंपनी केयर्न ऑयल एंड गैस को अगले दस वर्षों यानी मई 2030 तक के लिये पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (एमओपीएनजी) से अपने राजस्थान ब्लॉक के लिए प्रोडक्शन शेयरिंग कॉन्ट्रैक्ट (पीएससी) को बढ़ाने के लिए स्वीकृति मिल गई है.
इस अनुबंध विस्तार के बारे में केयर्न ऑयल एंड गैस के डिप्टी सीईओ प्रचुर साह ने बताया कि यह अनुबंध विस्तार उत्पादन क्षमताओं को दोगुना करने और ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने में भारत की मदद करने के हमारे लक्ष्य को पूरा करने में सहयोग देगा. राजस्थान ब्लॉक में विशाल फील्ड्स हैं, जहां टेक्नोलॉजीज में भारी निवेश चाहिये, ताकि रिकवरी बढ़ सके. इस फील्ड में नए उत्खनन के लिये भी संभावना है. खासकर ऐसे अवसरों के लिये, यह अनुबंध विस्तार बहुत महत्वपूर्ण होगा.
राजस्थान ब्लॉक में अपारपंरिक रूप से शेल एक्सप्लोरेशन भी किया जाता है और हमें विश्वास है कि यह अनुबंध हमें अब परिचालन को कारगर बनाने और इस बेहद विशाल ब्लॉक में निवेश बढ़ाने में समर्थ बनाएगा. भारत के घरेलू क्रूड उत्पादन में 50% योगदान देने के अपने लक्ष्य को लेकर हम दृढ़ हैं और इसके लिये हम 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करेंगे और प्रतिदिन 5 लाख बैरल के बराबर (500 केबीओईपीडी) तेल का उत्पादन हासिल करेंगे.
इस ब्लॉक के पास अभी तक 38 खोजों के साथ, 5.9 बिलियन बैरल तेल के बराबर (बीबीओई) का हाइड्रोकार्बन है. इस ब्लॉक ने पिछले दशक में संचयी आधार पर 700 मिलियन बैरल्स तेल के बराबर (एमएमबीओई) उत्पादन किया है. इस अनुबंध को बढ़ाने से पूंजीगत खर्च में निवेश बढ़ेगा और निजी कंपनियां इस महत्वपूर्ण सेक्टर में आने के लिये प्रोत्साहित होंगी. राजस्थान ब्लॉक का बड़ा राष्ट्रीय महत्व है और यहाँ टेक्नोलॉजी की कई पहलें हुई हैं.
यह देश में पहला फील्ड है, जिसने माइक्रो सेस्मिक हाइड्रोफ्रैक मॉनिटरिंग टेक्नोलॉजी अपनाई है और दुनिया का सबसे बड़ा जेट-पंप ऑपरेशन भी किया है. यहां दुनिया का सबसे बड़ा एनहैंस्ड ऑयल रिकवरी (ईओआर) पॉलीमर फ्लड प्रोजेक्ट और दुनिया का सबसे बड़ा एल्कलाइन सरफेक्टेन्ट पॉलीमर (एएसपी) प्रोजेक्ट भी है. यह फील्ड मंगला पाइपलाइन का आरंभ-बिन्दु भी है, जोकि लगातार गर्म और इंसुलेटेड रहने वाली विश्व की सबसे लंबी पाइपलाइन है और क्रूड को राजस्थान के फील्ड्स से गुजरात की रिफाइनरीज तक पहुंचाती है.
टेक्नोलॉजी की यह कई पहलें पिछले पीएससी के कारण हुई हैं और नया अनुबंध टेक्नोलॉजी में ज्यादा उत्कृष्टता का रास्ता खोल सकता है. क्योंकि कंपनी राजस्थान ब्लॉक से उत्पादन को दोगुना करने और उसकी पूरी क्षमता का दोहन करने के लिये तैयार है.
केयर्न ऑयल एंड गैस ने हाल ही में डीएसएफ राउंड III की बोलियों में 8 ऑयल ब्लॉक्स और एक कोल-बेड मीथेन (सीबीएम) ब्लॉक जीता है और इस प्रकार देश में कंपनी की कुल 62 संपत्तियां हो गई हैं. यह प्राप्तियां अपनी क्षमताओं को दोगुना करने, 500 केबीओईपीडी उत्पादन को छूने और भारत को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के कंपनी के लक्ष्य के अनुसार रही हैं.
कंपनी की वृद्धि के तीन रणनीतिक कारक हैं- निवेशों और भागीदारियों के माध्यम से मौजूदा ब्लॉक्स का उत्पादन बढ़ाना, शेल जैसे ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोतों की खोज करना और नये ऑयलफील्ड्स के उत्खनन एवं खोज को प्रोत्साहन देना. अब राजस्थान के लिये पीएससी का विस्तार भारत की घरेलू क्रूड क्षमताओं को बढ़ाने और देश को ऊर्जा सुरक्षा की ओर ले जाने में कंपनी को सक्षम बनाने में एक गतिशील भूमिका निभाएगा.
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