Barmer News: राजस्थान का पश्चिमी क्षेत्र जीरे की खेती का हब माना जाता है. बाड़मेर, बालोतरा, जालौर, जैसलमेर और सांचौर में जीरे की बंपर पैदावार होती है, लेकिन इस बार जीरे की फसल को लेकर किसान मायूस है. पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से मौसम की बेरुखी ने किसाने की चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सर्दी और तेज हवाओं ने बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी व धोरीमन्ना उपखंड क्षेत्र के आसपास के कई गांवों में जीरे की फसल को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाया है. कई जगह पर तो जीरे की फसल जलकर नष्ट हो गई है. 


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राम तो रूठ गया, लेकिन राज से किसानों को उम्मीद 
किसानों का कहना है कि सेठ, साहूकारों और बैंक से कर्ज लेकर जीरे की फसल की बुवाई की थी और खेतों में जीरे फसल लहलहा रही थी, लेकिन मौसम की मार की वजह से खेतों में पक कर तैयार होने लगी जीरे की फसल अब पूरी तरह से जलकर नष्ट हो गई है, जिसके चलते अब सेठ साहूकारों का कर्ज चुकाना भी मुश्किल हो गया है. किसान बता रहे हैं कि राम तो रूठ गया, लेकिन राज से उन्हें उम्मीद है. किसान सरकार से फसल खराबे का उचित मुआवजा और आपदा राहत के तहत आदान अनुदान देने की मांग कर रहे हैं. 


सरकार से किसानों को हर संभव मदद दिलाने का आश्वासन
भारतीय किसान संघ की मानें, तो क्षेत्र में 25 से 70% तक जीरे की फसल में नुकसान पहुंचा है. नुकसान का दायरा इससे भी ज्यादा हो सकता है. वहीं, कृषि विभाग की मानें, तो क्षेत्र में करीब 45 हजार हेक्टेयर से अधिक जीरे की फसल की बुवाई हुई है. पिछले कुछ दिनों अलग-अलग दिशाओं से हवाओं के चलने से सुबह-सुबह पाला पड़ने की वजह से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है और जीरे को चर्म रोग हो गया है, जिसको लेकर किसानों से दवाइयों के छिड़काव की अपील कर रहे हैं. बता दें कि गुड़ामालानी विधायक व राज्य सरकार में मंत्री केके विश्नोई ने भी क्षेत्र में जीरे की फसल में हुए नुकसान को लेकर किसानों के बीच पहुंचकर जली हुई जीरे की फसल जायजा लिया और हर संभव सरकार से किसानों को मदद दिलाने का आश्वासन दिया है. 


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